NEET UG 2024 SC Hearing LIVE: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश- छात्रों के नंबर किए जाएं सार्वजनिक, सोमवार से फिर शुरू होगी सुनवाई
NEET UG Paper Leak Hearing: नीट पेपर लीक को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. अदालत से मांग की गई है कि कथित पेपर लीक को देखते हुए फिर से एग्जाम करवाए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीट यूजी पेपर लीक मामले पर सोमवार सुबह 10 बजे से ये सुनवाई जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा अंतरिम आदेश देते हुए कहा कि UG NEET की परीक्षा में हाजिर होने वाले छात्रों के नंबर सार्वजनिक किये जाएं, पर यह ध्यान रखा जाए कि किसी छात्र की पहचान सामने ना आए. इससे एक पारदर्शिता जरूर मिलेगी. इससे छात्रों को यह भी पता चलेगा कि किस सेंटर से किस तरह के नतीजे आए हैं. शनिवार दोपहर 12 बजे तक रिजल्ट को सार्वजनिक करें, ऑनलाइन अपडेट किया जाए. CJI ने कहा कि अब इसमें तो कोई दो राय नहीं कि हजारीबाग में पटना में लीक हुआ है. अब हमको यह देखना है कि यह कितना व्यापक तौर पर हुआ है.
यह पूरी परिकल्पना कि पूरा पेपर 45 मिनट में हल कर दिया गया और छात्रों को दे दिया गया, बहुत दूर की कौड़ी है.
चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें चिंता इस बात की है कि उल्लंघन होने और परीक्षा के बीच कितना समय लगा? अगर समय अवधि 3 दिन है, तो जाहिर है कि खतरा ज्यादा है. क्या कोई 45 मिनट के लिए 75,000 रुपये देता है?
याचिकाकर्ता के वकील ने बिहार पुलिस की ओर से दर्ज आरोपी अनुराग यादव के बयान का हवाला देते हुए कहा कि बयान से पता चलता है कि पेपर लीक 4 मई को हुआ था.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि टेलीग्राम वीडियो से पता चलता है कि 4 मई को पेपर शेयर हो रहे थे. यह मूल प्रश्न पत्र था. समय सुबह 9 बजे है. एनटीए चाहता है कि यह अदालत अविश्वास करे. वे जो तारीख और समय दिखाते हैं वह ऐसी तारीख और समय नहीं है जो टेलीग्राम चैनल में दिखाई दे. यह एक वॉटरमार्क है. यह कोई तारीख और समय नहीं है. तारीख और समय वैसा ही दिखाई देता है जैसा कि पेज (याचिकाकर्ताओं के सबमिशन में) में दिखाई दे रहा है.
सीजेआई ने कहा अगर किसी ने पेपर लीक किया भी तो उसका मकसद सिर्फ नीट परीक्षाओं को बदनाम करने का नहीं बल्कि पैसे कमाना था जो स्पष्ट है. बड़े पैमाने पर पेपर लीक के लिए उस स्तर पर संपर्कों की भी आवश्यकता होती है, ताकि आप विभिन्न शहरों आदि में ऐसे सभी प्रमुख संपर्कों से जुड़ सकें.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अब आते हैं हिरासत की कड़ी पर. उनका मामला यह है कि क्वेश्चन पेपर 24 अप्रैल को एक निजी कूरियर कंपनी के माध्यम से केंद्रों पर भेजे गए थे. यह 3 मई को एसबीआई और केनरा बैंक के 571 शहरों में मौजूद ब्राचों में पहुंचे. सीजेआई ने कहा कि उन्हें 24 अप्रैल को भेजा गया और 3 मई को प्राप्त किया गया, इसलिए समय अंतराल लगभग 9 दिन है.
सॉलिसिटर जनरल ने तुरंत कहा कि प्रिंटर से लेकर सेंटर तक पूरी चेन की जांच सीबीआई ने की है, सीलिंग कैसे हुई, जीपीएस ट्रैकिंग कैसे हुई...डिजिटल लॉकर हैं. वो डिटेल मैंने दे दी है. इसमें 7-लेयर सेफ्टी सिस्टम है.
चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आपके पास कोई ठोस सबूत है. इस पर वकील ने कहा कि सिलेबस में हुए इजाफे को लेकर उन टॉपिक्स को दिखाया, जिन्हें अब जोड़ा गया है. वकील ने बताया कि टॉपिक्स को सिलेबस में एड करने का नोटिफिकेशन पांच महीने पहले ही हुआ है. हैरानी वाली बात ये है कि एनटीए ने इस पर कोई भी जवाब नहीं दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए से जानकारी मांगी कि पिछले 3 सालों में कितने छात्र एग्जाम में हाजिर हुए हैं. कोर्ट को मिली जानकारी के मुताबिक साल 2022 से 2024 के दौरान 6 लाख छात्र एग्जाम में ज्यादा बैठे. याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार सिलेबस बढ़ गया है, जबकि एनटीए कह रहा है कि सिलेबस कम हुआ और आसान हुआ है. सीजेआई ने जब वकील को अपनी बात साबित करने के लिए कहा तो उन्होंने बताया कि 550-720 नंबर रेंज में उम्मीदवारों की संख्या में पिछले वर्षों की तुलना में पांच गुना इजाफा हुआ है. चीफ जस्टिस ने पूछा कि क्या ये पेपर लीक की ओर इशारा करता है. वकील ने कहा कि हां ये खतरे को दिखाता है.
सॉलिसिटर जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि हमें लगभग 15,000 नए रजिस्ट्रेशन मिले. इन नए 15,094 छात्रों में से सिर्फ 44 छात्र ऐसे हैं, जो उन एक लाख आठ हजार छात्रों में शामिल हैं, जिन्हें प्राइवेट और सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिल मिलेगा. एनटीए के वकील ने कहा कि नए रजिस्ट्रेशन करने वाले 12 हजार के करीब छात्र फेल हो गए हैं. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसका मकसद किसी विशेष व्यक्ति की मदद करना नहीं था. ऐसा छात्रों की भलाई के लिए किया गया था. नए रजिस्ट्रेशन में से सिर्फ 44 को ही एडमिशन मिल सकता है.
नीट पेपर लीक मामले पर एक बार फिर से सुनवाई शुरू हो गई है. सीजेआई ने एनटीए के वकील से राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बारे में पूछा, जिसके आधार पर एनटीए ने करेक्शन विंडो खोलने का हवाला दिया था. सीजेआई ने कहा कि सिर्फ एक छात्र के लिए करेक्शन विंडो खोलने को कहा गया था. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमें कई सारे आवेदन मिले तो फिर हमने छात्रों की भलाई के लिए ये कदम उठा. सीजेआई ने कहा कि आदेश केवल एक छात्र के लिए था जिसने फीस नहीं भरी और एनटीए क्या करता है? हर किसी को आवेदन करने की अनुमति देता है.
नीट पेपर लीक पर सुनवाई के दौरान जब पीठ सेंटर चुनने और करेक्शन विंडो को लेकर चर्चा कर रही थी तो वक्त वरिष्ठ वकील मैथ्यूज नेदुम्परा ने कहा कि ये चर्चा रास्ते से भटक रही है. एकमात्र मुद्दा यह है कि क्या दोबारा एग्जाम की जरूरत है या नहीं, लेकिन चर्चा किसी और चीज पर हो रही है. इस पर सीजेआई ने कहा कि नहीं ऐसा नहीं है, ये प्रमुख मुद्दा है. कील मैथ्यूज नेदुम्परा ने आईआईटी रिपोर्ट को झूठा करार दे दिया. इससे सीजेआई नाराज हो गए और उन्होंने कहा कि आप संस्थान के लिए ऐसे शब्द इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. अपनी बात साबित करने के लिए तथ्य रखें. फिलहाल पीठ लंच के लिए चली गई है. लंच के बाद अब इस मामले पर सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान जब पेपर लीक को लेकर बात होने लगी तो चीफ जस्टिस ने एनटीए के वकील से पूछा कि जब उम्मीदवार एप्लिकेशन फॉर्म भरते हैं, तो उन्हें शहर या केंद्र का विकल्प चुनना होता है? इसके जवाब में एनटीए के वकील ने हां कहा. वकील ने बताया कि छात्रों के पास शहर चुनने का ऑप्शन होता है, वे सेंटर का चुनाव नहीं कर सकते हैं.
चीफ जस्टिस ने कहा कि टॉप 100 छात्रों में से आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात से सात छात्र हैं. हरियाणा से चार, दिल्ली से तीन, कर्नाटक से छह, केरल से पांच, महाराष्ट्र से पांच, तमिलनाडु से आठ, यूपी से छह और पश्चिम बंगाल से पांच छात्र हैं. ऐसा लगता है कि टॉप 100 में आने वाले छात्र पूरे देश में फैले हुए हैं. वे 12 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश से आते हैं.
नीट पेपर लीक पर सुनवाई के दौरान आईआईटी मद्रास के जरिए बनाई गई रिपोर्ट पर सवाल उठाया गया है. जिस वक्त सॉलिसिटर जनरल टॉपर्स की जानकारी दे रहे थे, उसी वक्त याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि जयपुर से नौ लोग हैं, जो टॉप 100 में हैं. मगर आईआईटी की रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया गया है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि रिपोर्ट का मकसद ये दिखाना है कि टॉपर्स देशभर में फैले हुए हैं.
सुप्रीम कोर्ट में अब आईआईटी मद्रास की रिपोर्ट पढ़ी जा रही है. कोर्ट ने कहा कि सरकार और NTA कोर्ट को यह बताएं टॉप 100 छात्र किस शहर, जिलें और सेंटर से आते हैं. इस पर सॉलीसीटर जनरल ने कहा कि बेंगलुरु से पांच छात्र हैं, कई छात्र अलग अलग प्रदेश से हैं. किसी शहर से एक किसी से शून्य भी हैं.
शीर्ष अदालत में पिछले हफ्ते दाखिल एक अतिरिक्त हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा था कि आईआईटी मद्रास ने नीट-यूजी 2024 के नतीजों का डेटा विश्लेषण किया है, जिसमें न तो इस बात के संकेत मिले हैं कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर कदाचार हुआ था और न ही ऐसा सामने आया है कि स्थानीय अभ्यर्थियों के किसी समूह को फायदा पहुंचा और उन्होंने अप्रत्याशित अंक हासिल किए.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि अगर आप हमारे सामने यह साबित कर देते हैं कि बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई तभी री-एग्जाम का आदेश दिया जा सकता है. याचिकाकर्ता छात्रों के वकील ने कहा कि कुछ ऐसे छात्र भी आए हैं जिनकी रैंक 1 लाख 8 हज़ार छात्रों के बीच है, लेकिन उनको सरकारी कॉलेज नहीं मिला.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अगर री-एग्जाम होता है तो उससे करीब 1,00,000 छात्रों पर असर पड़ेगा, लेकिन कोर्ट ने कहा कि 1 लाख नहीं कहा जा सकता क्योंकि परीक्षा में 23 लाख छात्र बैठे थे. अगर इम्तिहान होगा तो फिर से सभी छात्रों को मौका मिलेगा. याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि ऐसे में दोषियों की पहचान करना बहुत मुश्किल हो जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान आईआईटी मद्रास के जरिए किए गए डेटा एनालिसिस का भी जिक्र हुआ, जिसके आधार पर सरकार ने कहा कि न तो इस बात के संकेत मिले हैं कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर कदाचार हुआ था और न ही ऐसा सामने आया है कि स्थानीय अभ्यर्थियों के किसी समूह को फायदा पहुंचा और उन्होंने अप्रत्याशित अंक हासिल किए. याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि मेरे पास रिजल्ट नहीं है, इसलिए मैं डेटा एनालिसिस नहीं कर सकता हूं. आईआईटी मद्रास के निदेशकों में से एक एनटीए की गवर्निंग बॉडी के सदस्य हैं. उन्होंने पूरा नंबर लेकर डेटा एनालिटिक्स चलाया है
सुनवाई के दौरान एनटीए के वकील से पूछा गया कि बताएं कि याचिकाकर्ता के तौर पर कितने छात्र शामिल हैं. वकील ने बताया कि परीक्षा पास करने वाले कुछ जो 1 लाख आठ हजार के भीतर हैं, वे भी याचिकाकर्ता हैं, क्योंकि वे सरकारी सीटें चाहते हैं. सीजेआई ने पूछा कि याचिकाकर्ताओं को न्यूनतम कितने नंबर मिले हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि 131 छात्र ऐसे हैं, जो 1,08,000 छात्रों में शामिल नहीं है, जो दोबारा से परीक्षा चाहते हैं, जबकि 254 छात्र ऐसे हैं, जो पास हुए हैं और वे दोबारा एग्जाम नहीं चाहते हैं.
पेपर लीक पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ी की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि आपको हमारे सामने यह साबित करना पड़ेगा की यह गड़बड़ी और लीक बड़े पैमाने पर हुई है और एग्जाम को रद्द करने के अलावा कोई और चारा नहीं है. कोर्ट पूछा कि सरकारी कॉलेज में कितनी सीट है याचिकाकर्ता के वकील ने कहा 56000 सीटें हैं. निजी कॉलेज में सीटों को लेकर पूछे गए सवाल पर जवाब दिया गया कि 52000 सीटें हैं.
नीट पेपर लीक पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि चीफ जस्टिस ने दूसरी स्टेटस रिपोर्ट देखी है. इस पर सीजेआई ने जवाब दिया हां. वरिष्ठ वकील नरेंद्र हुडा ने मुख्य याचिका में दलीलें शुरू कीं. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा सीबीआई ने हमको अपनी स्टेटस रिपोर्ट दी है, लेकिन हम उसको सार्वजनिक नहीं कर सकते क्योंकि इससे सीबीआई की जांच पर असर पड़ सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक पर सुनवाई शुरू हो गई है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा की नीट मामले को प्राथमिकता दी जाएगी, क्योंकि इसके सामाजिक परिणाम हैं. सुनवाई के दौरान एक काउंसिल ने कहा कि उम्मीदवारों के ओएमआर शीट को बदला गया. इस पर सीजेआई ने कहा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते हैं. वकील ने कहा कि हाईकोर्ट ने मेरे खिलाफ फैसला सुनाया है. इसे लेकर सीजेआई ने कहा कि आपको विशेष अनुमति याचिका दायर करनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर 18 जुलाई के लिए अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. इसमें एनटीए से जुड़ी याचिका भी शामिल है.
नीट पेपर लीक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (18 जुलाई) को सुनवाई होने वाली है. इसमें एनटीए की भी याचिका शामिल है, जिसमें उसने अलग-अलग हाईकोर्ट्स में उसके खिलाफ लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया गया है.
बैकग्राउंड
NEET Paper Leak Hearing Live Updates: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार (18 जुलाई) को विवादों में घिरे मेडिकल एग्जाम नीट-यूजी 2024 को लेकर सुनवाई हो रही है. नीट पेपर लीक को लेकर कई सारी याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर देश की शीर्ष अदालत में सुनवाई हो रही है. नीट यूजी एग्जाम का आयोजन पांच मई को किया गया था, जबकि इसके नतीजों का ऐलान 4 जून को हुआ. रिजल्ट सामने आने के बाद से ही पेपर लीक के आरोप लगने लगे.
शीर्ष अदालत के चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ नीट से जुड़ी 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इसमें नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की याचिका भी शामिल है, जिसमें उसने विभिन्न हाईकोर्ट में उसके खिलाफ लंबित मामलों को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को नीट-यूजी 2024 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई 18 जुलाई तक टाल दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में नीट पेपर लीक के खिलाफ दायर याचिकाओं में कहा गया है कि एग्जाम में धांधली और गड़बड़ियां देखने को मिली हैं. ऐसे में पेपर को रद्द किया जाए और फिर से इसका आयोजन हो, ताकि सभी छात्रों को एकसमान मौका मिल सके. हालांकि, यहां एक चीज गौर करने वाली ये है कि सरकार ने साफ कर दिया है कि नीट में किसी तरह का पेपर लीक नहीं हुआ है. कुछ सेंटर्स पर धांधली करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ कार्रवाई चल रही है.
नीट पेपर लीक को लेकर देशभर में प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं. राजधानी दिल्ली से लेकर कोलकाता तक लोगों ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया है. कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल लगातार नीट के मुद्दे पर सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं. संसद सत्र के दौरान भी विपक्ष ने नीट का मुद्दा उठाया था. नीट पेपर लीक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई से जुड़े सभी अपडेट्स आप नीचे दिए गए कार्ड्स में पढ़ सकते हैं.
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