NEET UG Controversy: सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच ने नीट पेपर लीक के खिलाफ लगी याचिकाओं पर सोमवार (8 जुलाई) को सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी से पेपर लीक की प्रकृति और धोखाधड़ी के लाभार्थियों की पहचान के लिए उठाए गए कदमों के बारे में कई सवाल पूछे. वहीं, सीजेआई ने कहा है कि हमें लीक के लाभार्थियों की पहचान करने और सरकार द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के लिए निर्दयी होना होगा.
दरअसल, आज सुप्रीम कोर्ट में कुल 38 याचिकाओं पर सुनवाई हुई है. इनमें से 34 याचिकाएं स्टूडेंट्स, टीचर्स और कोचिंग इंस्टीट्यूट्स ने दायर की हैं, जबकि 4 याचिकाएं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने लगाई हैं. वहीं, सीजेआई ने कहा है कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश सभी वकील इस बात पर अपनी दलीलें पेश करेंगे कि दोबारा परीक्षा क्यों होनी चाहिए? साथ ही केंद्र तारीखों की पूरी सूची भी देगा और हम इस मामले को 11 जुलाई को सुनवाई करेंगे. कोर्ट ने सीबीआई से पेपर लीक मामलों की जांच पर रिपोर्ट पेश करने को भी कहा है.
नीट पेपर लीक होने के तथ्य से नहीं कर सकते इनकार- CJI
उधर, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने री-एग्जाम को लेकर अपना पक्ष रखा है. वहीं, कोर्ट ने कहा कि नीट-यूजी परीक्षा में पेपर लीक होने के तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह पता लगाना होगा कि लीक की प्रकृति व्यापक थी, तभी री एक्जाम का आदेश देने पर फैसला लिया जा सकता है. सीजेआई ने कहा कि यदि हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि लीक और वास्तविक परीक्षा के बीच का समय अंतराल सीमित है, तो यह ऐसी परिस्थिति होगी जो री एग्जाम आयोजित करने के खिलाफ होगी.
केंद्र सरकार ने री-एग्जाम पर क्या कहा?
वहीं, केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा है कि कथित गड़बड़ी केवल पटना और गोधरा केंद्रों में हुई थी और व्यक्तिगत उदाहरणों के आधार पर पूरी परीक्षा रद्द नहीं की जानी चाहिए. अनुचित साधनों और पेपर लीक के व्यक्तिगत उदाहरणों से पूरी परीक्षा खराब नहीं हुई है. अगर परीक्षा प्रक्रिया रद्द कर दी जाती है तो यह लाखों छात्रों के शैक्षणिक करियर से जुड़े बड़े सार्वजनिक हित के लिए ज्यादा हानिकारक होगा.
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