Prime Minister Museum: नई दिल्ली में स्थित नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलकर प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी कर दिया गया है. इस फैसले को लेकर अब राजनीति शुरू हो गई है. कांग्रेस के विरोध के बाद अब शिवसेना (यूबीटी) ने भी म्यूजियम का नाम बदलने की निंदा की है. शिवसेना (यूबीटी) नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग इतिहास को मिटाना चाहते हैं.
राउत ने कहा, मैं इस बात से सहमत हूं कि म्यूजियम में दूसरे प्रधानमंत्रियों को स्थान मिलना चाहिए. इस देश में प्रधानमंत्री और भी हुए हैं, अटल जी, इंदिरा जी, लाल बहादुर शास्त्री, सभी ने देश के लिए काम किया है. उस म्यूजियम में ऐसा सेक्शन होना चाहिए जिसमें दूसरे प्रधानमंत्रियों के काम को भी जगह मिले, लेकिन म्यूजियम का नाम बदलने की जरूरत नहीं है.
जिन्होंने देश बनाया, उन्हें मिटाना चाहते- संजय राउत
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने आगे कहा कि पंडित नेहरू ने देश को बनाने में येगदान दिया है उन्होंने आजादी की लड़ाई में भी योगदान दिया था. उन्हीं के नाम पर ये पंडित जवाहर लाल नेहरू प्राइम मिनिस्टर म्यूजियम हो सकता था लेकिन आप लोग (बीजेपी) इतिहास को खत्म करना चाहते हो. जो हमारे पुराने हीरो हैं, जिन्होंने देश बनाया उन सबको मिटाना चाहते हो. राउत ने कहा, पंडित नेहरू से नफरत के कारण ये किया गया है.
नेहरू जी के सामने मोदी जी का कद छोटा- कांग्रेस
कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने कहा, नेहरू जी के सामने मोदी जी का व्यक्तित्व आज भी बहुत छोटा है. वो सोचते हैं कि नेहरू जी का नाम बोर्ड से हटाने से नेहरू जी का व्यक्तित्व कम हो जाएगा. नेहरू जी वो व्यक्ति हैं, जिन्हें देश के लोग ऑर्टिटेक्ट ऑफ मॉडर्न इंडिया मानते हैं. 1947 में नेहरू जी ने आईआईटी, आईआईएम, डीआरडीओ, इसरो, भाखड़ा नांगड़ा बांध और एम्स की परिकल्पना की.
गौरव बल्लभ ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन का जिक्र करते हुए कहा कि छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और आपने छोटे मन का परिचय देश के सामने दिया है. बोर्ड से तो पंडित जी का नाम भले मिटा दो लेकिन 140 करोड़ लोगों के मन से उनका नाम नहीं मिटा सकेंगे.
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