नई दिल्ली: नवजात बच्चों से जुड़ी एक स्टडी के मुताबिक लाइलाज न्यूनेटल सेप्सिस इंफेक्शन मौत की वजह बन रहा है. ऐसे बैक्टीरिया नवजातों में फैल रहे हैं जिसकी दवा फिलहाल डॉक्टरों के पास नहीं है. स्टडी में शामिल रही दिल्ली के चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय की प्रोफेसर डॉक्टर ममता जाजू ने इसे खतरनाक बताया है. एबीपी न्यूज़ ने डॉक्टर ममता जाजू से इसको लेकर बातचीत की.


डॉक्टर ममता जाजू ने बताया कि ये स्टडी उन्होंने 2011 में शुरू की थी. इसमें चार हॉस्पिटल एम्स, सफदरजंग, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज और चाचा नेहरू मेडिकल कॉलेज शामिल थे. 2588 बच्चों पर ये स्टडी की गई. ये बच्चे इन्हीं तीन हॉस्पिटल में बच्चे पैदा हुए थे. चाचा नेहरू अस्पताल का आउट बोर्न नर्सरी का डेटा है.


ये सभी बच्चे दिल्ली एनसीआर और आसपास के राज्यों के हैं. इस स्टडी के अलार्मिंग तथ्य सामने आये हैं. इन 2588 बच्चों में 230 से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई है. वहीं करीब 150 बच्चों की मौत इन्फेक्शन की वजह से हुई. ये इन्फेक्शन मल्टी ड्रग रेसिस्टेन्स हैं. मतलब जो बैक्टीरिया इन बच्चों में पाए गए वो एंटीबायोटिक रेसिस्टेन्स हैं. डॉक्टर जाजू ने बताया कि हमारे एंटीबायोटिक ने उन पर काम नहीं किया. कुछ एंटीबायोटिक हमारे पास हैं सामान्य तौर पर नवजात में इस्तेमाल नहीं करते लेकिन हमने इस्तेमाल किया. जिससे कुछ बच्चे बचे भी हैं. लेकिन बहुत सारे बैक्टीरिया ऐसे थे जिन्हें मारने के लिए हमारे पास कोई दवा नहीं थी.


डॉक्टर जाजू कहती हैं कि ये बैक्टीरिया इसलिए खतरनाक हो गया है क्योंकि हमारे समुदाय या नर्सिंग होम में कोई एंटीबायोटिक चेक नहीं किया जाता है. हमने स्टडी में पाया कि जो बच्चे हमारे यहां जन्म के 4 दिन से 15 दिन के बीच में आये उन्होंने बहुत ज़्यादा एंटीबायोटिक खाए हैं. दूसरा बात जो स्टडी में आयी वो ये है कि कम वजन या प्रीमैच्योर बच्चों में फंगल इंफेक्शन होता है लेकिन सामान्य बच्चो में फंगल इंफेक्शन पाया गया. जब बहुत ज़्यादा एंटीबायोटिक इस्तेमाल होता है तब फंगल इंफेक्शन होता है जिसकी वजह से भी मौत होती है.



इससे बचने के उपाय क्या हैं?


इसके जवाब में डॉक्टर ममता कहती हैं कि एहतियात बहुत ज़रूरी है. हैंड वाशिंग बहुत ज़रूरी है. आईवी लगाते हुए बच्चे की स्किन साफ करना ज़रूरी होता है. बच्चे एक दूसरे के संपर्क में ना आएं. बहुत ज़्यादा एंटीबायोटिक इस्तेमाल ना करें. हर डॉक्टर और इंसान ये शुरू कर दें. इससे ये कम होगा. सरकार के स्तर पर ये किया जा सकता है कि केमिस्ट की दुकान पर बिना डॉक्टर की सलाह पर जो एंटीबायोटिक मिलती है वो बंद हो जानी चाहिए. सरकार को इसके लिए नियम कायदे बनाने की ज़रूरत है.