नई दिल्ली: पाकिस्तानी सेना के आठ सैनिकों को अपनी खूखरी से मौत के घाट उतारने वाले बहादुर गोरखा सैनिक की मदद के लिए खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे सामने आए हैं. दरअसल, भारतीय सेना से सेवाएं खत्म करने के बाद महावीर चक्र विजेता लांस हवलदार दिल बहादुर सिंह छेत्री मुफलिसी की जिंदगी जी रहे थे. ये जानकारी जब नेपाल दौरे पर गए जनरल नरवणे को लगी तो उन्होनें बहादुर सैनिक को पांच लाख रूपये का चैक प्रदान किया.


नेपाल की तीन दिवसीय (4-6 नबम्बर) यात्रा पूरी करने से पहले थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने गोरखा रेजीमेंट के बहादुर सैनिक से मुलाकात कर ये रकम प्रदान की. जानकारी के मुताबिक, 19'71 के युद्ध के दौरान छेत्री भारतीय सेना की 4/5 गोरखा राईफल्स (4/5 जीआर) में तैनात थे.





छेत्री ने पाकिस्तानी सेना की चौकी पर किया था जोरदार हमला

जंग के दौरान छेत्री ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के साईलहेट में पाकिस्तानी सेना की अहम चौकी (पोस्ट) पर अपनी बटालियन के साथ जोरदार हमला बोला था. ये दुश्मन की मीडियम मशीन गन चौकी थी. लेकिन छेत्री ने अपनी खुखरी से पाकिस्तानी सेना के 08 जवानों को अकेले मौत के घाट उतार डाला था. इसके बाद बहादुर गोरखा ने  उनकी बटालियन पर पाकिस्तानी पोस्ट (चौकी) पर कब्जा कर लिया था. उनकी इस बहादुरी के लिए देश का दूसरे सबसे बड़ा वीरता मेडल, महावीर चक्र से नवाजा गया था.


सेना मुख्यालय के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, लेकिन कुछ निजी कारणों से छेत्री ने 1976 में सेना की नौकरी छोड़ दी थी. क्योंकि उन्होनें तयसीमा से पहले नौकरी छोड़ दी थी इसलिए उन्हें पेंशन नहीं मिलती थी. वे नेपाल में अपने पैतृक गांव में रहने लगे और वीरता मेडल का एलाउंस ही उनकी आय का साधन था. अपने संकोची व्यवहार के चलते उन्होनें अपनी गरीबी की दांस्ता किसी से साझा नहीं की.


नरवाणे ने ऑन-लाइन मीटिंग में दिया पांच लाख का अतिरिक्त चैक 


हाल ही में छेत्री की यूनिट (4/5 जीआर) के सैन्य अफसर को उनकी हालत के बारे में पता चला तो उन्होनें काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास की डिफेंस विंग को पूरी जानकारी दी. इसके बाद पिछले साल नबम्बर के महीने में नेपाल के भुटकल में भारतीय सेना द्वारा आयोजित एक्सर्विसमैन रैली में पांच लाख का चैक दिया गया. और अब थलसेना प्रमुख जनरल नरवणे जब नेपाल के दौरे पर पहुंचें तो उन्हें ऑन-लाइन मीटिंग में पांच लाख का अतिरिक्त चैक प्रदान किया.


जनरल नरवणे और उनकी पत्नी नीरा नरवणे ने आखिरी दिन पूर्व-सैनिकों और वीर नारियों (बहादुर सैनिकों की विधावाओं) से मुलाकात की और उन्हें सहायता राशि प्रदान की. आपको बता दें कि भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में नेपाल के नागरिक ही होते हैं. यही वजह है कि नेपाल में बड़ी तादाद में भारतीय सेना के पूर्व फौजी और उनके परिवार हैं. इस दौरान जनरल नरवणे ने नेपाल के ईसीएचएस हॉस्पिटल को तीन एंबुलेंस भी गिफ्ट की.


आखिरी दिन जनरल नरवणे ने नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से मुलाकात की और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से शुभकामनाएं भेंट की. नेपाली सेना द्वारा जारी बयान में थलसेना प्रमुख के इस दौरे को बेहद सफल बताया गया है. बयान में कहा गया कि इस तरह के दौरों से दोनों देशों के बीच मित्रता और अधिक मजबूत होगी. नेपाली सेना के मुताबिक, इस दौरे के दौरान दोनों देशों के सेना प्रमुखों ने दोनों देशों के साझा सुरक्षा से जुड़े मुद्दे को लेकर चर्चा की. इसके अलावा दोनों जनरल नरवणे ने आखिरी दिन नेपाली सेना के कमांड एंड स्टाफ कॉलेज में स्टूडेंट-ऑफिसर्स को भी संबोधित किया.