नेपाल की खाड़ी के इस्लामिक देशों में अचानक क्यों जागी दिलचस्पी?
Nepal Economy Crisis: नेपाल के लोग पिछले 20 सालों में बड़ी संख्या में कतर, सऊदी अरब, यूएई समेत कई खाड़ी देशों में काम की तलाश में गए हैं.
Nepal Economy Crisis: भारत का पड़ोसी देश नेपाल इन दिनों जबरदस्त महंगाई की चपेट में है. आलम ये है कि खाने-पीने के जरूरी सामानों की कीमतें आसमान छू रही हैं, देश मंदी झेल रहा है, लोगों के पास न तो नौकरी है और ना ही पैसा. ऐसे में नेपाल के लोगों के सामने मुश्किलें कम होती नहीं दिखाई दे रही हैं.
नेपाल में रसोई के सभी सामान महंगे हो गए हैं. पिछले साल की तुलना में दाल, तेल, आटा और चावल की कीमतों में तेजी से उछाल आया है. इसमें आटा और चावल की कीमतों में 30 रुपये से लेकर 90 रुपये तक की बढोतरी हुई है. इस समय नेपाली लोग जीने और खाने-पीने की आस में खाड़ी देशों का रुख कर रहे हैं. राजधानी काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा खचाखच भरा हुआ है और विदेशों में रोजगार दिलाने वाली दुकानों में लोग अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
सऊदी अरब, यूएई जाने वालों का तांता
नेपाल के लोग पिछले 20 सालों में बड़ी संख्या में कतर, सऊदी अरब, यूएई समेत कई खाड़ी देशों में काम की तलाश में गए हैं. लोगों का तब से ही खाड़ी देशों में जाने का सिलसिला जारी है और यह अभी तक थमा नहीं है. यही लोग नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए खाद-पानी का काम कर रहे हैं, क्योंकि विदेशों में काम कर रहे नेपाली लोगों का देश की जीडीपी में एक बड़ा हिस्सा है.
जीडीपी में 28 फीसदी योगदान
बीबीसी से नेपाल की अर्थव्यवस्था पर नजर रखने वाले गणेश गुरुंग ने कहा, "नेपाल की अर्थव्यवस्था के लिए इनकी कमाई लाइफलाइन है. इन नेपालियों की कमाई देश की जीडीपी का 28 फीसदी है. नेपाल कृषि का जीडीपी में महज 25 फीसदी योगदान है और पर्यटन का महज 6 से 7 फीसदी. नेपाल के कुल 40 लाख लोग विदेशों में काम करते हैं और इसमें भारत में काम करने वाले लोग शामिल नही हैं." अगर नेपाल की दहल सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाए तो देश मुश्किल में पड़ सकता है.
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