काठमांडू: भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में तनाव है. नेपाल ने मई में नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था. इसमें भारत के दावे वाले जगहों को भी उसने शामिल कर लिया था. इस बीच नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने कहा कि नेपाल और भारत के बीच क्षेत्रीय विवाद केवल बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है.
नेपाल के एक सरकारी टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में ये बात कही. नेपाल के विदेश मंत्री का ये बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय राजदूत विजय मोहन क्वात्रा और नेपाल के विदेश सचिव शंकर दास बैरागी 17 अगस्त को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे.
नया नक्शा जारी किए जाने के बाद उत्पन्न हुए तनाव के बाद दोनों देशों के बीच यह पहली मुख्य वार्ता होगी. सूत्रों की मानें तो क्वात्रा और बैरागी के बीच समीक्षा प्रक्रिया के तहत होने वाली यह वार्ता भारत और नेपाल के दरम्यान होने वाले नियमित संवाद का हिस्सा है. एक सूत्र ने बताया, 'दोनों देशों के बीच जारी द्विपक्षीय आर्थिक और विकासपरक परियोजनाओं की समीक्षा और समय-समय पर संवाद के लिए 2016 में समीक्षा प्रक्रिया की व्यवस्था की गई थी. '
पूरे विवाद को समझें
8 मई को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के धारचुला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ने वाली सामरिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था.
नेपाल ने इसका विरोध किया. उसने दावा किया कि यह सड़क उसके क्षेत्र से होकर गुजरती है. इसके कुछ समय बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया, जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को उसके क्षेत्र में दिखाया गया है. भारत इन इलाकों को अपना मानता है. इसके बाद जून में नेपाल की संसद ने देश के नए राजनीतिक मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसपर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया था.
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