काठमांडू: नेपाल की संसद ने शनिवार को देश के राजनीतिक नक्शे को संशोधित करने के लिए संविधान में बदलाव से जुड़े एक विधेयक पर सर्वसम्मति से अपनी मुहर लगा दी. संशोधिन नक्शे में भारत की सीमा से लगे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा इलाकों पर दावा किया गया है. भारत इन तीन इलाकों को अपना बताता रहा है
नेपाली कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता पार्टी-नेपाल और राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिये संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया. देश के 275 सदस्यों वाले निचले सदन में विधेयक को पारित करने के लिये दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है.
संसद ने नौ जून को आम सहमति से इस विधेयक के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति जताई थी जिससे नए नक्शे को मंजूर किये जाने का रास्ता साफ हुआ. विधेयक को नेशनल असेंबली में भेजा जाएगा, जहां उसे एक बार फिर इसी प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा. सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत है.
नेशनल असेंबली को विधेयक के प्रावधानों में संशोधन प्रस्ताव, अगर कोई हो तो, लाने के लिये सांसदों को 72 घंटे का वक्त देना होगा. नेशनल असेंबली से विधेयक के पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे संविधान में शामिल किया जाएगा.
सरकार ने बुधवार को विशेषज्ञों की एक नौ सदस्यीय समिति बनाई थी जो इलाके से संबंधित ऐतिहासिक तथ्य और साक्ष्यों को जुटाएगी. कूटनीतिज्ञों और विशेषज्ञों ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए हालांकि कहा कि नक्शे को जब मंत्रिमंडल ने पहले ही मंजूर कर जारी कर दिया है तो फिर विशेषज्ञों के इस कार्यबल का गठन किस लिये किया गया?
भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया.
नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है. भारत ने नेपाल के दावों को खारिज करते हुए दोहराया कि यह सड़क पूरी तरह उसके भूभाग में स्थित है.
नेपाल ने पिछले महीने देश का संशोधित राजनीतिक और प्रशासनिक नक्शा जारी कर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इन इलाकों पर अपना दावा बताया था. भारत यह कहता रहा है कि यह तीन इलाके उसके हैं. काठमांडू द्वारा नया नक्शा जारी करने पर भारत ने नेपाल से कड़े शब्दों में कहा था कि वह क्षेत्रीय दावों को “कृत्रिम रूप से बढ़ा-चढ़ाकर” पेश करने का प्रयास न करे.
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