भारत-नेपाल के संबंधों में आई खटास की भरपाई कर पाएंगे PM शेर बहादुर देउबा?
Indo-Nepal Relations: नेपाल में हाल के बदले राजनैतिक परिदृश्य से दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ खटास आई, तो अब जब नेपाल के हालात कुछ सामान्य हुए, तो भारत के साथ उसके रिश्ते सामान्य होते दिख रहे.
Indo-Nepal Relations: भारत और नेपाल ऐसे पड़ोसी देश हैं जो भौगोलिक दृष्टि से भले अलग दिखते हों, लेकिन दोनों की संस्कृति, सभ्यता और राजनैतिक रिश्ते गहरे रहे हैं. नेपाल में हाल के बदले राजनैतिक परिदृश्य की वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों में कुछ खटास आई, तो अब जब नेपाल के हालात कुछ सामान्य हुए, तो भारत के साथ उसके रिश्ते भी सामान्य होते दिख रहे हैं. इसका आधार बने हैं भगवान भोले शंकर. बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा रविवार को पहुंचने वाले हैं. काशी के देउबा बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ ही गंगा किनारे स्थित पशुपति नाथ के दर्शन भी करेंगे.
कहते हैं काशी में एक मिनी नेपाल बसता है. गंगा किनारे बाबा विश्वनाथ के मंदिर के पास नेपाली मंदिर के नाम से जाने जाने वाले पशुपति मंदिर की आकृति हूबहू काठमांडू के पशुपति मंदिर जैसी है. भगवान शिव को समर्पित इस पशुपति मंदिर को बनवाने का ख्वाब सन 1800 से 1804 तक नेपाल से निर्वासित होकर काशी आए नेपाल के राजा राणा बहादुर शाह ने देखा था. उनके निधन के बाद उनके बेटे युद्धवीर शाह ने 40 साल बाद इस मंदिर को बनवा दिया.
चीन से बढ़ती नजदीकियों के कारण रिश्तों पर पड़ा असर
नेपाल में राजनैतिक अस्थिरता के बीच जब केपी शर्मा ओली प्रधानमंत्री बने, तो उनकी नजदीकियां चीन से बढ़ने लगीं. चीन से बढ़ती नजदीकियों की वजह से नेपाल और भारत के रिश्तों पर खराब असर पड़ा. सीमा विवाद से लेकर भगवान राम के खिलाफ बयानबाजी ने कई बार रिश्तों को तल्ख कर दिया. हालांकि, केपी शर्मा ओली के हटने के बाद जबसे शेर बहादुर देउबा के हाथ में नेपाल की कमान आई है, तब से रोटी बेटी का संबंध निभाने वाले भारत और नेपाल के रिश्ते पहले जैसे होते दिख रहे हैं. दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात करने के बाद जब नेपाली पीएम, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी आएंगे, तो उनका स्वागत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे.
वाराणसी में नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के आने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. नेपाली अधिकारी काशी पहुंच चुके हैं और भारत के अधिकारियों के साथ पीएम के दौरे का खाका खींचा जा रहा है. बताया जा रहा है कि शेर बहादुर देउबा रविवार को सुबह 9 बजे वाराणसी पहुचेंगे. एयरपोर्ट पर उनका स्वागत योगी आदित्यनाथ करेंगे. वहां से दोनों नेता सीधा काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचेंगे. बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन कर देउबा बगल में स्थित पशुपति नाथ मंदिर में माथा टेकेंगे और फिर वृद्धाश्रम के पुनरद्धार के लिए भूमि पूजन होगा. यहां देउबा करीब डेढ़ घंटे रुकेंगे.
पशुपति नाथ मंदिर को कॉरिडोर से जोड़ दिया गया है
बाबा विश्वनाथ मंदिर के कॉरिडोर के बनने के बाद नेपाल को महत्व देते हुए पशुपति नाथ मंदिर को कॉरिडोर से जोड़ दिया गया है. जो लोग विश्वनाथ कॉरिडोर में आकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करेंगे, वो कॉरिडोर से बाहर निकले बिना ही पशुपतिनाथ के दर्शन भी कर सकते हैं. मान्यता है कि बारह ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के बाद भी अगर श्रद्धालु पशुपतिनाथ का दर्शन न करें, तो उसका तीर्थ अधूरा माना जाता है. मान्यता ये भी है कि अगर काठमांडू जाकर पशुपति जी का दर्शन कोई नहीं कर सके, तो वो गंगा किनारे स्थित पशुपति नाथ मंदिर भी दर्शन करके वही लाभ पा सकता है.
समरेश्वर महादेव के नाम से प्रचलित पशुपति नाथ मंदिर का संचालन पहले नेपाल के राज परिवार की तरफ से किया जाता था. राजशाही जाने के बाद इस मंदिर के संचालन का काम नेपाल सरकार करती है. इस मंदिर परिसर में एक वृद्धाश्रम भी संचालित होता है, जिसमें नेपाली मूल के वृद्ध अपने जीवन के आखिरी दौर को बाबा भोले शंकर के चरणों में जीने आते हैं. काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद जर्जर हो रहे वृद्धाश्रम को नए सिरे से निर्माण का काम होगा, जिसका भूमि पूजन नेपाली पीएम शेर बहादुर देउबा करने आ रहे हैं. पशुपति नाथ मंदिर में वृद्धाश्रम में वर्तमान में 30 महिलाएं और 65 पुरुष वृद्ध रह रहे हैं.
'नेपाल-भारत के आम लोगों के संबंध हमेशा से बेहतरीन रहे'
भारत में बड़ी संख्या में नेपाली छात्र पढ़ाई करते हैं. ऐसे ही एक छात्र सूर्य नेउपाने हैं, जो नेपाल के बुटवल के रहने वाले हैं और बीएचयू से पढ़ाई की है. सूर्या का मानना है कि नेपाली पीएम के भारत आने से दोनों देशों के बिगड़े संबंध सुधरने की पूरी संभावना है. उन्होंने कहा कि राजनैतिक संबंध भले अच्छे रहें या खराब, लेकिन नेपाल और भारत के आम लोगों के संबंध हमेशा से बेहतरीन रहे हैं. सूर्या का मानना है कि दोनों देशों का जो सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध रहा है, वो हमेशा कायम रहना चाहिए.
भारत और नेपाल के ऐतिहासिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2018 में नेपाल के जनकपुर गए थे. हालांकि, केपी शर्मा ओली के चीन से नजदीकियों की वजह से कुछ खटास आई, जिसको भरने का काम अब नेपाली पीएम देउबा और पीएम मोदी कर रहे हैं. उम्मीद है कि आने वाले समय में दोनों देश एक बार फिर उसी रिश्ते को बनाने में कामयाब होंगे, जो हमेशा से रहा है.
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