Nepal Protests For Hindu Rashtra: नेपाल में लोकतंत्र को खत्म कर एक बार फिर राजशाही और हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग तेज हो गई है. राजधानी काठमांडू की सड़कों पर हजारों प्रदर्शनकारी पिछले मंगलवार से उतरकर लगातार नारे लगा रहे हैं और पुलिस से तकरार हो रहा है.
न्यूज एजेंसी एसोसिएट प्रेस (AP) के मुताबिक, प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री ऑफिस और दूसरी सरकारी कार्यालयों तक पहुंचने की कोशिश कर रहे थे. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बांस-बल्लों, आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. यह प्रदर्शन नेपाल की राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के नेतृत्व में हो रहा था.
'हम अपने देश और राजा से जान से ज्यादा प्यार करते हैं'
इस दौरान लोगों ने नारे लगाते हुए कहा, "हम अपने देश और राजा से अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हैं. गणतंत्र को खत्म कर राजशाही की देश में वापसी होनी चाहिए." इस दौरान पुलिस लाठी चार्ज और अफरा-तफरी के बीच कई लोग घायल हुए हैं, लेकिन प्रदर्शन खत्म नहीं हो रहे हैं. लोगों की मांग लगातार राजशाही और हिंदू राष्ट्र के समर्थन में हो रही है.
2008 में खत्म हुई थी राजशाही, अब तक बनी हैं 13 सरकारें
नेपाल में 2008 में राजशाही खत्म हुई थी. उसके बाद से लेकर आज तक 13 सरकारें बन चुकी हैं. नेपाल में साल 2006 में राजशाही के खिलाफ विद्रोह तेज हो गया था. कई हफ्तों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद तत्कालीन राजा ज्ञानेंद्र को शासन छोड़कर सभी ताकत संसद को सौंपनी पड़ी.
उसके पहले साल 2007 में नेपाल को हिंदूराष्ट्र से धर्मनिरपेक्ष देश घोषित कर दिया गया. इसके अगले साल आधिकारिक तौर पर राजशाही खत्म कर चुनाव कराए गए. इसी के साथ वहां 240 साल से चली आ रही राजशाही का अंत हो गया था.
नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग हुई तेज
तब से लेकर अब तक नेपाल में पिछले कुछ समय से राजनीतिक तौर पर काफी अस्थिरता रही है. हाल ही में नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने नेपाली कांग्रेस पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. उन्होंने केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (UML) के साथ मिलकर नई सरकार बनाई, जिसका रुख चीन समर्थक कहा जाता है.
राजशाही ख़त्म होने के बाद नेपाल की वित्तीय स्थिति बिगड़ती जा रही है और देश की हालत भी खस्ताहाल हो रही है. नेपाल में भ्रष्टाचार की वजह से लोगों ने अब ऐसी सरकारों को खत्म कर दोबारा राजशाही की वापसी और हिंदू राष्ट्र घोषित करने की मांग तेज कर दी है. जिस बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहे हैं, उसे देखते हुए इसके कई दिनों तक चलने और बड़े बदलाव के आसार हैं.