Prisoners Making Idols: कभी अपराध के लिए उठे हाथ आज घरों को रोशन करने के लिए आकर्षक दीए बना रहे हैं. जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल ने बंदियों को हुनर सीखाने के लिए अनोखी पहल की शुरुआत की है. जेल में बंद सजायाफ्ता बंदी दीपावली के त्यौहार के लिए आकर्षक दीए और मूर्तियों का निर्माण कर रहे हैं. जेल की चहारदीवारी में दिए और मूर्तियां बनाने में जुटे लोग कुम्हार नहीं है बल्कि अपने गुनाहों की सजा काट रहे कैदी हैं.
इको फ्रेंडली दीए और मूर्तियां बना रहे हैं कैदी
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस सेंट्रल जेल के कैदी इन दिनों दीपावली पर्व की तैयारियों में जुटे हैं. सेंट्रल जेल प्रशासन की पहल से कैदी अपने हुनर का इस्तेमाल कर दीपावली पर्व के लिए दीए और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां में बना रहे हैं. खास बात तो ये हैं कि ये दीए और मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली हैं. जिन्हें बनाने के लिए गोबर और मिट्टी का इस्तेमाल किया जा रहा है. बंदियों द्वारा बनाए जा रहे दीयों और मूर्तियों को आम जनता के लिए बाजार में भी उपलब्ध किया जाएगा. ताकि इनकी बिक्री से जो पैसा आए वो इन बंदियों के काम आ सके.
वोकल फ़ॉर लोकल के तहत प्रशिक्षण
सेंट्रल जेल के अधीक्षक अखिलेश तोमर का कहना है कि वोकल फ़ॉर लोकल के तहत पहले जेल के ऐसे बंदियों को चुना गया जो कुम्हार का काम जानते हैं. फिर उन्हें दूसरे बंदियों को प्रशिक्षित करने का काम दिया गया. आज दर्जनभर से ज्यादा बंदी इस काम में लगे हुए हैं. इधर बंदी भी दीए और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियां बनाने से उत्साहित हैं. कैदी निशांत कोरी और केस लाल चक्रवर्ती का कहना है कि जेल प्रशासन की इस पहल का उन्हें लाभ मिल रहा है. इससे उन्हें एक हुनर सीखने का मौका मिला है. जिसके जरिए वो जेल से बाहर निकलकर अपना जीवनयापन समाज मे बेहतर तरीके के कर सकेंगे.
ये भी पढ़ें: