Subhash Chandra Bose: नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पोते, चंद्र कुमार बोस ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने कहा है कि "भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन और साहित्य से छेड़छाड़ की जा रही है, इसे लेकर वर्तमान में जो विकृतियां और गलत सूचनाएं फिल्मों में दिखाई या बताई जा रही हैं, उसे लेकर भारत सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए." चंद्र कुमार बोस ने जनहित याचिका दायर कर सरकार से कार्रवाई की मांग की है. 


उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने 2016-17 में इतिहास से जुड़े गुप्त दस्तावेजों को सार्वजनिक किया. इसके बाद हमें ऐसी रिपोर्टें मिलीं जिनसे पता चलता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 18 अगस्त, 1945 को अपने प्राणों की आहुति दी थी.


चंद्र कुमार बोस ने पत्र लिखकर पहले भी पीएम से की थी मांग


इससे पहले पिछले साल चंद्र कुमार बोस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक खुला पत्र लिखा था. ट्विटर पर पोस्ट किए गए पत्र में चंद्र कुमार बोस ने सुझाव दिया था 'इस बार जब पीएम मोदी 15 अगस्त को अपना भाषण दें, तो वह 'भारत के सच्चे मुक्तिदाता-सुभाष चंद्र बोस' का उल्लेख करना नहीं भूलें.' इसके साथ ही उन्होंने पीएम मोदी से 'भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सच्चे इतिहास' के रूप में संदर्भित दस्तावेज को प्रकाशित करने पर भी जोर दिया है. 


पत्र में चंद्र कुमार बोस ने लिखा था कि, "1857 के बाद से कई लोगों ने हमारी मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी. साल1857 से ही अंग्रेजों के खिलाफ देश में अलग-अलग जगह आंदोलन शुरू हो गए थे, लेकिन इंडियन नेशनल आर्मी (INA) ने अंग्रेजों को देश छोड़कर जाने के लिए मजबूर कर दिया. आजाद हिन्द फौज ने अंग्रेजी शासन की जड़ों को हिला दिया था. इसी के बाद अंग्रेजों को अहसास हुआ था कि वह हिन्दुस्तान में लंबे वक्त तक नहीं रुक सकते हैं." 


सुभाष चंद्र बोस के पोते ने कहा, "इस सच्चाई की पुष्टि लॉर्ड क्लेमेंट एटली, लॉर्ड माउंटबेटन, डॉ. बीआर अंबेडकर, मेजर जनरल जीडी बख्शी, अजीत डोभाल और कई अन्य लोगों ने की है जो सही इतिहास को बताता है." 


इससे पहले जून में उन्होंने यह दावा करते हुए एक पत्र लिखा था कि सुभाष चंद्र बोस की टोपी, जिसे बोस परिवार ने लाल किले में स्वतंत्रता सेनानी को समर्पित संग्रहालय में रखने के लिए भारत सरकार को दिया था, वह 'गायब' हो गई है. इसके जवाब में भारत सरकार ने कहा था कि नेताजी की तलवार के साथ टोपी पूरी तरह से 'सुरक्षित' है. ये नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी के लिए दिए गए थे. भारत सरकार ने कहा था कि ये 'जल्द' ही वापस आ जाएंगे.


यह भी पढ़ें: PM Modi Kashi Visit: 'ये भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र', काशी तमिल संगमम के उद्घाटन पर बोले पीएम मोदी