CBI के नए डायरेक्टर को लेकर भी विवाद, कांग्रेस नेता खड़गे ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर जताई आपत्ति
सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति में पीएम मोदी के अलावा प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे शामिल हैं.
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नई दिल्ली: आईपीएस अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला को आज सीबीआई का नया डायरेक्टर चुना गया है. लेकिन इनकी नियुक्ती भी विवादों से घिर गई है. शुक्ला की नियुक्ति को लेकर चयन समिति के सदस्य और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आज दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी (डिसेंट नोट) लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. बता दें कि ऋषि कुमार शुक्ला मध्यप्रदेश कैडर के साल 1983 बैच के आईपीएस हैं. सीबीआई डायरेक्टर के पद पर इनका कार्यकाल दो साल का होगा.
उच्च सूत्रों के मुताबिक, मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्ला के एंटी करप्शन मामलों की जांच में अनुभवहीनता को आधार बनाकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है. खड़गे ने कहा है कि 'अनुभवहीन' शुक्ला को सीबीआई निदेशक बनाना नियमों का उल्लंघन है.
सीबीआई निदेशक के लिए रेस में थे कुल 5 नाम
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई निदेशक चयन समिति ने कुल पांच नामों का चयन किया था. इनमें ऋषि कुमार शुक्ला के अलावा 1983 बैच के उत्तर प्रदेश कैडर के आईपीएस राजीव राय भटनागर, 1984 बैच के तेलंगाना कैडर के आईपीएस संदीप लखटकिया, 84 बैच के यूपी कैडर के आईपीएस जावीद अहमद और एपी माहेश्वरी का नाम शामिल था. चयन के तीन आधार बनाए गए थे. मसलन वरिष्ठता, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR), छानबीन और ‘एंटी करप्शन जांच’ का कुल अनुभव.
मल्लिकार्जुन खड़गे के डिसेंट नोट (विरोध पत्र) के मुताबिक, एंटी करप्शन मामलों की जांच में ऋषि शुक्ला का अनुभव शून्य है. छानबीन के कुल अनुभव के मामले में भी वह अन्य दावेदारों के मुकाबले सबसे नीचे थे. छानबीन के मामले में ऋषि शुक्ला का कुल अनुभव 117 महीनों का है. जबकि जावीद अहमद के पास सबसे अधिक 303 महीनों का अनुभव है. खड़गे चाहते थे कि जावीद अहमद को नया सीबीआई डायरेक्टर बनाया जाए.
एंटी करप्शन मामलों के अनुभव की बजाय छानबीन के कुल अनुभव को मान्यता- खड़गे
खड़गे ने अपने पत्र में लिखा है कि विनीत नारायण मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और दिल्ली पुलिस एक्ट में अंतर्गत एंटी करप्शन मामलों की जांच का अनुभव अहम है. खड़गे ने आरोप लगाया कि चयन समिति की बैठक में अनुभव के आधार को 'शिथिल' कर एंटी करप्शन मामलों के अनुभव की बजाय छानबीन के कुल अनुभव को मान्यता दी गई, जिसकी वजह से वैसे लोगों का नाम शामिल हो गया, जिन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में जांच का अनुभव ना के बराबर है.
हालांकि सूत्रों के मुताबिक, वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (ACR) के मामले में ऋषि शुक्ला सबसे आगे रहे. इससे पहले वो मध्यप्रदेश के डीजीपी थे. चयन समिति की सिफारिश के मुताबिक नियुक्तियों की कैबिनेट कमिटी (अपॉइंटमेंट्स कमिटी ऑफ कैबिनेट) ने उनके नाम पर मुहर लगा दी.
सीबीआई निदेशक का चयन करने वाली समिति में पीएम मोदी के अलावा प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और लोकसभा में कांग्रेस के नेता खड़गे शामिल हैं.
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