Justice DY Chandrachud: जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने वाले हैं. इसी के साथ डीवाई चंद्रचूड़ पहले ऐसे मुख्य न्यायाधीश होंगे जिनके पिता, वाईवी चंद्रचूड़ (YV Chandrachud), भी सीजेआई रहे हैं. वह जस्टिस यूयू ललित (UU Lalit) का स्थान लेंगे, जो 8 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने करियर में दो बार अपने पिता के फैसलों को पलटा है. 


जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ को 1978 में सीजेआई के रूप में नियुक्त किया गया था और वे 1985 में सेवानिवृत्त हुए थे. उनके नाम पर सबसे लंबे समय तक सीजेआई रहने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. न्यायमूर्ति वाईवी चंद्रचूड़ उस पांच न्यायाधीशों की पीठ में से एक थे जिन्होंने 1976 में फैसला सुनाया था कि आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है और लोग अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटा सकते हैं. एकमात्र असंतुष्ट न्यायाधीश न्यायमूर्ति एचआर खन्ना थे. 


अपने पिता के ये दो फैसले पलटे


डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता के इस फैसले को 2017 में पलटा था. न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने नौ-न्यायाधीशों की पीठ के हिस्से के रूप में, 2017 में ये पुष्टि करते हुए कि निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, 1975 के आपातकाल का समर्थन करने वाले एक विवादास्पद आदेश को रद्द कर दिया था. 41 साल बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश को गंभीर रूप से त्रुटिपूर्ण बताया था और जस्टिस एचआर खन्ना की प्रशंसा की थी. 


एडल्टरी लॉ का फैसला भी पलटा


जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने पिता का जो दूसरा फैसला पलटा, वह एडल्टरी लॉ पर था. 2018 में, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ उस पीठ का हिस्सा थे जिसने सर्वसम्मति से उस कानून को रद्द कर दिया जो एडल्टरी को एक व्यक्ति द्वारा दूसरे के खिलाफ किए गए अपराध के रूप में मानता है. उस आदेश के साथ, एडल्टरी अब अपराध नहीं है, केवल तलाक का आधार है. 1985 में जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ ने एडल्टरी कानून को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया था. 


2016 में सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला


अपने पिता के इस फैसले को पलटते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) ने कहा था कि, "अक्सर, व्यभिचार (Adultery Law) तब होता है जब शादी पहले ही टूट चुकी होती है और कपल अलग रह रहे होते हैं. यदि उनमें से कोई भी किसी अन्य व्यक्ति के साथ यौन संबंध रखता है, तो क्या उसे धारा 497 के तहत दंडित किया जाना चाहिए?" बता दें कि, 13 मई 2016 को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जज का पदभार संभाला था. 


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