BJP Chief Minister: पहले छत्तीसगढ़ फिर मध्य प्रदेश और अब राजस्थान में भी नये मुख्यमंत्री के ऐलान के साथ बीजेपी के तीन कद्दावर नेता अब हमेशा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री हो गए हैं. बात चाहे रमन सिंह, शिवराज सिंह चौहान या फिर वसुंधरा राजे सिंधिया की हो, अब इनके नाम के आगे हमेशा के लिए पूर्व मुख्यमंत्री का संबोधन जुड़ गया है. ऐसे में सवाल ये है कि अब इन तीन कद्दावर नेताओं के साथ आखिर बीजेपी क्या करेगी? क्या बीजेपी के पास है इन बड़े नेताओं के लिए कोई बड़ा गेम प्लान है? 


अभी तक बीजेपी के 50 सीएम बने


 6 अप्रैल 1980 को गठित भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने इतिहास में देश के अलग-अलग राज्यों को 50 से भी ज्यादा मुख्यमंत्री दिए हैं. मुख्यमंत्री देने की शुरुआत राजस्थान से हुई थी, जहां भैरो सिंह शेखावत बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री बने थे. उसके बाद से मुख्यमंत्री बनाने की जो यात्रा शुरू हुई वो अब 50 के भी पार पहुंच चुकी है. सात मुख्यमंत्री तो उत्तराखंड में ही रहे हैं.


पुराने नेताओं का बीजेपी क्या करती है?


गुजरात में छह, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार और दिल्ली से लेकर गोवा, हिमाचल प्रदेश और झारखंड में तीन-तीन मुख्यमंत्री बीजेपी के रह चुके हैं. हालांकि जो मुख्यमंत्री पद से हटते हैं, बीजेपी उनके साथ क्या करती है, इसे समझने के लिए बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री रहे भैरो सिंह शेखावत का ही उदाहरण लेते हैं.


राजस्थान में पुराने नेता के साथ क्या हुआ?


4 मार्च 1990 को बीजेपी का कोई नेता किसी प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर बैठा था. उस नेता का नाम था भैरो सिंह शेखावत, जिन्हें राजस्थान के लोग प्यार से बाबोसा कहते हैं. हालांकि भैरो सिंह शेखावत जनसंघ के नेता के तौर पर भी राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल चुके थे.


साल 1998 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी हार गई और कांग्रेस के अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बन गए. जिसके बाद साल 2002 में हुए उपराष्ट्रपति पद के चुनाव में भैरो सिंह शेखावत उम्मीदवार बने और कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे को हराकर उपराष्ट्रपति की कुर्सी तक पहुंचे थे. हालांकि 2007 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में वो प्रतिभा देवी सिंह पाटिल के सामने हार गए और फिर राजनीति से संन्यास ले लिया.


गुजरात में बीजेपी ने किसे किया किनारे


ये कहानी बीजेपी के मुख्यमंत्री रह चुके नेता की उपराष्ट्रपति पद पर पहुंचने की है. एक और कहानी है गुजरात के नेता केशुभाई पटेल, जो गुजरात में बीजेपी के पहले मुख्यमंत्री थे. 2001 में जब केशुभाई पटेल को हटाकर नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री बनाया गया तो 2002 के विधानसभा चुनाव में केशुभाई पटेल को टिकट भी नहीं मिला.


हालांकि पार्टी ने उन्हें उसी साल 2002 में ही राज्यसभा में भेज दिया, लेकिन 2007 में उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी और विधानसभा चुनाव में अपने समर्थकों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की. उन्होंने तब बीजेपी की अपनी सदस्यता भी रिन्यू नहीं करवाई और साल 2012 में बीजेपी छोड़कर नई पार्टी बनाई, जिसका नाम रखा गुजरात परिवर्तन पार्टी. साल 2014 में उन्होंने अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय कर दिया.


पीएम मोदी के बाद गुजरात की राजनीति


केशुभाई पटेल को हटाकर मुख्यमंत्री बनने वाले सुरेश मेहता के साथ भी यही हुआ. जब उन्हें हटाया गया तो उस समय सुरेश मेहता ने विरोध किया था. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी छोड़ दी और केशुभाई पटेल के साथ ही गुजरात परिवर्तन पार्टी में शामिल हो गए और फिर उनका सियासी करियर ही खत्म हो गया.


नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री पद से हटे नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने पद छोड़ा. गुजरात की मुख्यमंत्री रहीं आनंदीबेन पटेल को पद से हटाया गया तो राज्यपाल बना दिया गया. विजय रूपाणी मुख्यमंत्री पद से हटाए गए तो अब वो राजनीति में कहां हैं, कोई नहीं जानता.


उत्तराखंड में बीजेपी के नेताओं को क्या मिला?


उत्तराखंड महज 23 साल पुराने राज्य में अकेले बीजेपी के ही सबसे ज्यादा सात मुख्यमंत्री रहे हैं. शुरुआत नित्यानंद स्वामी से हुई जो उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री बने, लेकिन एक साल से भी कम वक्त में उन्हें हटाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भगत सिंह कोश्यारी को बिठा दिया गया. नित्यानंद स्वामी नेपथ्य में चले गए. कोश्यारी तो चार महीने भी नहीं रह पाए, क्योंकि चुनाव ही हार गए.


हालांकि पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा, लोकसभा से सांसद बनवाया और वो बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष तक बने. बाद में वो महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल बनाए गए. 2007 में बीजेपी के चुनाव जीतने के बाद कोश्यारी की जगह भुवन चंद्र खंडूरी ने ली. वो भी मुख्यमंत्री से हटे तो सांसद बने. रमेश पोखरियाल निशंक तो मुख्यमंत्री पद से हटे तो केंद्र में मंत्री तक बनाए गए. त्रिवेंद्र सिंह रावत को सीएम पद से हटने के बाद कुछ नहीं मिला और तीरथ सिंह रावत सीएम पद से हटे तो महज सांसद बनकर रह गए.


कल्याण सिंह को छोड़नी पड़ी पार्टी


यूपी में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को तो पार्टी तक छोड़नी पड़ी थी. उन्होंने सपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा. अपनी पार्टी बनाई और बाद में बीजेपी के साथ आकर राज्यपाल की कुर्सी से संतोष करना पड़ा. राम प्रकाश गुप्ता को भी सीएम पद से हटने के बाद राज्यपाल बनाया गया.


वर्तमान के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से लेकर केंद्र में गृहमंत्री और रक्षा मंत्री जैसे पद पर रहे. त्रिपुरा में बीजेपी ने बिप्लव देब को मुख्यमंत्री पद से हटाकर माणिक साहा को बिठाया तो बिप्लब देव को राज्यसभा के जरिए केंद्र में बुला लिया. महाराष्ट्र में तो बीजेपी का अपना एक ही मुख्यमंत्री रहा है, जिनका नाम देवेंद्र फडणवीस है, उन्हें गठबंधन की सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया.


येदियुरप्पा के बेटे बने प्रदेश अध्यक्ष


कर्नाटक में बीजेपी के मुख्यमंत्री ऐसे नहीं रहे हैं कि पद से हटाने के बाद उन्हें कोई और बड़ा पद दिया जाए. पूर्व सीएम येदियुरप्पा अपवाद हैं, जिन्हें सीएम पद से हटाया गया तो उन्होंने पार्टी ही छोड़ दी. पार्टी में फिर लौटे तो सांसद और बाद में मुख्यमंत्री तक बने. इसके बाद फिर हटाए गए तो बेटे को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया.


बीजेपी ने कर्नाटक में येदियुरप्पा को हटाकर डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री बनाया था, बाद में उन्हें पद से हटाने के बाद केंद्र में मंत्री बना दिया गया था. सदानंद गौड़ा को हटाकर जगदीश शेट्टार को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया गया था, उन्होंने तो टिकट न मिलने पर पार्टी ही छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे.


रघुवर दास को राज्यपाल बनाया


झारखंड के भी पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को जब मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और नई पार्टी बनाई, लेकिन अब वो बीजेपी के साथ हैं और झारखंड में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं. झारखंड में अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री पद से हटाए गए तो अब केंद्र में मंत्री हैं. रघुवर दास को सीएम से हटे तो उन्हें राज्यपाल बना दिया गया है.


अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री बने


हिमाचल में शांता कुमार भी सीएम नहीं रहे तो सांसद बन गए और केंद्र में मंत्री भी बने. प्रेम कुमार धूमल सीएम नहीं बने तो उनके बेटे अनुराग ठाकुर को केंद्र में मंत्री बनाया गया.


गोवा के मुख्यमंत्री रहे मनोहर पर्रिकर को मुख्यमंत्री से हटाकर केंद्र में रक्षा मंत्री तक बनाया गया था. हालांकि उनकी जगह लेने वाले लक्ष्मीकांत पारसेकर के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ और वो हमेशा-हमेशा के लिए राजनीति से गायब हो गए.


दिल्ली में सीएम पद से हटाने के बाद बीजेपी का फैसला


दिल्ली में बीजेपी के तीन-तीन मुख्यमंत्री रहे हैं. मदनलाल खुराना जब दिल्ली के सीएम पद से हटे तो राज्यपाल बनाए गए. हालांकि बाद में बीजेपी ने उन्हें पार्टी से ही निकाल दिया. सीएम पद से हटने के बाद साहिब सिंह वर्मा भी सांसद बने और उनके बेटे प्रवेश वर्मा भी सांसद हैं. साहिब सिंह वर्मा पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तक रहे थे. मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सुषमा स्वराज देश की विदेश मंत्री तक रही थीं.


असम में सर्बानंद सोनोवाल को हटाकर हिमंता बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया गया तो सोनोवाल केंद्र में मंत्री बनाए गए.


एमपी में बड़े नेताओं को बीजेपी ने क्या दिया?


ये पूरी कहानी मध्य प्रदेश से शुरू हुई वहां भी बीजेपी के अब तक चार मुख्यमंत्री रहे हैं. सबसे पहले सुंदरलाल पटवा बीजेपी की ओर से राज्य के मुख्यमंत्री रहे. फिर सांसद बने और ऐसे सांसद बने कि मध्य प्रदेश के कद्दावर कांग्रेसी नेता कमलनाथ अपने जीवन का जो एक चुनाव हारे हैं, वो सुंदरलाल पटवा की ही दी हुई हार है.


अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सुंदरलाल पटवा केंद्र में मंत्री भी बनाए गए थे. उमा भारती तो मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सांसद भी बनीं. बीजेपी भी छोड़ी, फिर बीजेपी के साथ भी आईं, यूपी में मुख्यमंत्री का चेहरा भी बनीं, लेकिन कुछ खास हासिल हुआ नहीं. इसके बाद फिर सांसद बनीं, केंद्र में मंत्री भी रहीं, लेकिन आज की तारीख में उन्होंने एक तरह से खुद को पूरी तरह से किनारे कर लिया है.


इसके अलावा बाबूलाल गौर मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद शिवराज सिंह चौहान की सरकार में मंत्री बनते रहे. ऐसे में सवाल है कि मुख्यमंत्री पद से हटे शिवराज सिंह चौहान मोहनलाल यादव की कैबिनेट में शामिल होंगे या अब वह केंद्र की राजनीति करेंगे. वसुंधरा राजे के राजनीतिक करियर को लेकर भी कई सवाल हैं. छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम रमन सिंह को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है. 


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