नई दिल्ली: ग्राहकों को ज़्यादा अधिकार और सहूलियत देने वाला नया उपभोक्ता संरक्षण क़ानून सोमवार से अस्तित्व में आ गया. क़ानून पिछले साल ही संसद से पारित हुआ था लेकिन इसे नए नियमों के साथ अब लागू किया गया है. नया क़ानून 1986 में बने उपभोक्ता संरक्षण क़ानून की जगह लेगा.


उपभोक्ता के लिए कई सहूलियतें


नए क़ानून में उपभोक्ताओं को शिकायत दर्ज़ करने में पहले से ज़्यादा विकल्प और सुविधाएं दी गई हैं. अब ख़रीदे गए सामान में खोट निकलने की शिकायत करना आसान बना दिया गया है. सबसे बड़ी सुविधा ये दी गई है कि अब कोई भी ग्राहक या उपभोक्ता ख़राब सामान की शिकायत देश के किसी भी उपभोक्ता फोरम में कर सकता है. मसलन लखनऊ में रहने वाले किसी व्यक्ति ने सामान दिल्ली से ख़रीदा है तो सामान ख़राब निकलने पर वो लखनऊ में भी उसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज़ करवा सकता है.


ये भी प्रावधान किया गया है कि शिकायत की अर्ज़ी दर्ज़ करवाने के 21 दिनों के भीतर ये तय कर देना होगा कि अर्ज़ी स्वीकार की जा सकती है या नहीं. अर्ज़ी स्वीकार होने के बाद ही उसपर सुनवाई की कार्यवाही शुरू होती है. पुराने क़ानून में शिकायत दर्ज करने के बाद उसे स्वीकार किए जाने की कोई समय सीमा नहीं थी. अर्ज़ी स्वीकार होने के एक साल के भीतर शिकायत का निपटारा करना अनिवार्य बनाया गया है.


अमेज़न, फ्लिपकार्ट भी दायरे में


नए क़ानून की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि इसमें पहली बार अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई कॉमर्स का कारोबार करने वाली कम्पनियों को भी दायरे में लाया गया है. इन प्लेटफॉर्मों के ज़रिए अपना सामान बेचने वाले विक्रेताओं के लिए उत्पाद से जुड़ी सभी जानकारियां देना अनिवार्य बनाया गया है. विक्रेताओं के लिए ये जानकारी देना अनिवार्य बनाया गया है कि उनके द्वारा बेचा जा रहा सामान या उत्पाद किस देश में बनाया गया है. साथ ही, अगर सामान की कोई एक्सपायरी तिथि है तो उसकी जानकारी देना भी अनिवार्य हो गया है. अगर इन जानकारियों में कोई गलती पाई जाती है तो उसकी ज़िम्मेदारी इन प्लेटफॉर्मों के ज़रिए सामान बेच रहे विक्रेताओं की तय गई है.


इसके अलावा सामान के रिफंड, एक्सचेंज, वारंटी और गांरटी, डिलीवरी और शिपमेंट, शिकायत निवारण तंत्र, भुगतान के तरीके, भुगतान के तरीकों की सुरक्षा, शुल्क वापसी संबंधित विकल्प आदि के बारे में सूचना देना भी अनिवार्य बना दिया गया है. इन जानकारियों से उपभोक्ता को ख़रीदारी करने से पहले उचित फ़ैसला लेने में मदद मिल सकेगी. नए नियम के मुताबिक़ अगर कोई ग्राहक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर कोई शिकायत दर्ज़ करता है तो 48 घंटों के भीतर उपभोक्ता को शिकायत प्राप्ति की सूचना देनी होगी. शिकायत प्राप्ति की तारीख से एक महीने के भीतर उसका निपटारा भी करना होगा.


5 साल तक की सज़ा का प्रावधान


नए क़ानून में मिलावटी सामानों से निपटने के लिए सख़्त सज़ा का प्रावधान किया गया है. ऐसा सामान बनाने और बेचने वाले को 5 साल तक की क़ैद हो सकती है या 50 लाख रुपए तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकता है. हालांकि अपराध दोबारा होने पर सज़ा का प्रावधान बढ़ाए जाने की भी व्यवस्था की गई है.


भ्रामक विज्ञापनों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई


क़ानून का सबसे चर्चित और विवादित पहलू रहा है भ्रामक विज्ञापनों को लेकर. संसद में पहली बार जब बिल पेश किया गया था तब इसमें भ्रामक विज्ञापन बनाने वाली कम्पनियों के साथ साथ उनमें काम करने वाले सेलेब्रिटीज के लिए भी ज़ुर्माने और सज़ा का प्रावधान किया गया था. हालांकि बाद में इस प्रावधान को हटा दिया गया. अब भ्रामक विज्ञापनों के लिए केवल कम्पनियों पर ज़ुर्माने का प्रावधान किया गया है. उनमें काम करने वाले कलाकारों या विज्ञापन दिखाने और छापने वाले माध्यमों को भ्रामक विज्ञापनों की ज़िम्मेदारी से बाहर रखा गया है.