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'हां, कानूनों में कुछ सुधार हुए हैं, हम उनका स्वागत करते हैं', नए क्रिमिनल लॉ को लेकर बोले पी. चिदंबरम
पी. चिदंबरम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'तथाकथित नए कानूनों का 90-99 फीसदी अंश कांट-छांट करने, नकल करने और इधर से उधर चिपकाने का काम है.'
!['हां, कानूनों में कुछ सुधार हुए हैं, हम उनका स्वागत करते हैं', नए क्रिमिनल लॉ को लेकर बोले पी. चिदंबरम new criminal laws Few improvements done and we welcome says Congress senior leader P Chidambaram 'हां, कानूनों में कुछ सुधार हुए हैं, हम उनका स्वागत करते हैं', नए क्रिमिनल लॉ को लेकर बोले पी. चिदंबरम](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/07/01/4c83e7d0be05b2af7b90df026a1e24271719822084377628_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने तीन नए आपराधिक कानूनों के लागू होने के बीच सोमवार (1 जुलाई, 2024) को सरकार की आलोचना की और कहा कि यह मौजूदा कानूनों को ध्वस्त करने और उनके स्थान पर बिना पर्याप्त चर्चा व बहस के तीन नए कानून लेकर आने का एक और उदाहरण है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सुधार किए गए हैं और उनका स्वागत करते हैं.
पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि दीर्घावधि में, तीन कानूनों को संविधान और आपराधिक न्यायशास्त्र के आधुनिक सिद्धांतों के अनुरूप लाने के लिए उनमें और बदलाव किए जाने चाहिए. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ने ब्रिटिश काल के क्रमश: भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम का स्थान ले लिया है.
चिदंबरम ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'तथाकथित नए कानूनों का 90-99 फीसदी अंश कांट-छांट करने, नकल करने और इधर से उधर चिपकाने का काम है. यह काम मौजूदा तीन कानूनों में कुछ बदलाव करके किया जा सकता था लेकिन यह व्यर्थ कवायद बना दी गई.'
उन्होंने कहा, 'हां, नए कानूनों में कुछ सुधार किए गए हैं और हम उनका स्वागत करते हैं. उन्हें संशोधन के रूप में पेश किया जा सकता था. दूसरी ओर, कई प्रतिगामी प्रावधान भी है. कुछ बदलाव प्रथम दृष्टया असंवैधानिक हैं.' वरिष्ठ नेता ने कहा कि स्थायी समिति के सदस्य रहे सांसदों ने इन कानूनों के प्रावधानों पर विचार किया और तीन विधेयकों पर असहमति को लेकर विस्तारपूर्वक पत्र लिखा.
चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने असहमति पत्रों में आलोचनाओं का कोई खंडन नहीं किया या जवाब नहीं दिया तथा संसद में कोई सार्थक बहस नहीं की. उन्होंने कहा, 'कानूनविदों, बार संघों, न्यायाधीशों और वकीलों ने कई लेखों तथा संगोष्ठियों में तीन नए कानूनों में गंभीर खामियों का जिक्र किया है. सरकार में से किसी ने इन सवालों का जवाब देना भी जरूरी नहीं समझा.'
कांग्रेस नेता ने कहा, 'यह तीन मौजूदा कानूनों को ध्वस्त करने तथा उनके स्थान पर बिना पर्याप्त चर्चा व बहस के तीन नए कानूनों को लाने का एक और उदाहरण है.' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नए कानून न्याय मुहैया कराने को प्राथमिकता देंगे जबकि अंग्रेजों (देश पर ब्रिटिश शासन) के समय के कानूनों में दंडनीय कार्रवाई को प्राथमिकता दी गई थी.
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