नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ऐलान किया है कि वो इस साल कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाएंगे. दिल्ली के रामलीला मैदान में जनाक्रोश रैली में राहुल ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कर्नाटक चुनाव के बाद इस यात्रा के लिए 15 दिनों की छुट्टी मांगी. राहुल गांधी ने बताया कि उनके मन में कैलाश मानसरोवर की यात्रा का विचार कर्नाटक चुनाव अभियान के दौरान आया. उन्होंने बताया कि जिस दिन दिल्ली से बैंगलौर जाते समय उनके विमान में खराबी आई थी तब उनके मन में ये विचार आया.


जब रैली का समापन हो रहा था तभी राहुल गांधी दोबारा माइक के सामने आए और कहा, "मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि ये बात बोलूं या नहीं. मैं जब विमान से कर्नाटक जा रहा था तब मेरा विमान अचानक 8000 फ़ीट नीचे आ गया. उसी दौरान मैंने सोचा कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा करूंगा." राहुल ने रैली में मौजूद कार्यकर्ताओं से कर्नाटक चुनाव के बाद 10-15 दिनों की छुट्टी मांगी.


इस साल खत्म हो चुका है आवेदन का समय


बता दें कि विदेश मंत्रालय हर साल जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग रास्तों, लिपुलेख दर्रा (उत्तराखण्ड) और नाथु-ला दर्रा (सिक्किम) से इस यात्रा का आयोजन करता है. हालांकि विदेश मंत्रालय की वेबसाइट के मुताबिक इस साल यात्रा के लिए आवेदन की आखिरी तारीख़ 6 अप्रैल तक ही थी. राहुल ने अभी ये साफ नहीं किया कि उन्होंने यात्रा के लिए आवेदन किया है या नहीं.


गुजरात चुनावों से शुरू हुआ मन्दिर जाने का सिलसिला


पिछले साल हुए गुजरात चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने सोमनाथ मंदिर समेत कई मंदिरों के दर्शन किए थे. तब उन पर न सिर्फ मंदिरों के ज़रिए राजनीति करने का आरोप लगा था बल्कि उनके हिन्दू होने पर भी सवाल खड़े हो गए थे. तब कांग्रेस ने राहुल का बचाव करते हुए उन्हें शिवभक्त और जनेऊधारी हिन्दू बताया था. 12 मई को कर्नाटक विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव प्रचार के दौरान भी राहुल अब तक कई मंदिरों और मठों में जा चुके हैं.


सभी धर्मों में आस्था रखते हैं राहुल - कांग्रेस


हालांकि कांग्रेस ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा को लेकर कहा है कि इसे राजनीति से जोड़कर न देखें. पार्टी प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा, " इमेज बदलने की जरूरत राहुल गांधी को नहीं बल्कि बीजेपी और नरेंद्र मोदी को है. राहुल तो सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं".