नई दिल्ली: देश में नई शिक्षा नीति का ऐलान किया जा चुका है. 34 साल बाद आई नई शिक्षा नीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संबोधन करेंगे. पीएम का ये संबोधन शिक्षा नीति से जुड़े एक कार्यक्रम में होगा, जो कि उद्घाटन भाषण होगा. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में बदलाव को लेकर कॉन्क्लेव का आयोजन आज होगा. कॉन्क्लेव को पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए संबोधित करेंगे.
इसमें नई शिक्षा नीति, भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मसलों पर चर्चा की जाएगी
इस कार्यक्रम का आयोजन शिक्षा मंत्रालय द्वारा ही कराया जा रहा है. जिसमें नई शिक्षा नीति, भविष्य की शिक्षा, रिसर्च जैसे मसलों पर चर्चा की जाएगी. इस दौरान शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल, अन्य मंत्री और राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी के सभी सदस्य मौजूद रहेंगे.
नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे चुकी है केंद्रीय कैबिनेट
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने इस सप्ताह की शुरुआत में नई शिक्षा नीति-2020 की घोषणा कर देश की 34 साल पुरानी, 1986 में बनी शिक्षा नीति को बदल दिया. नई नीति का लक्ष्य भारत के स्कूलों और उच्च शिक्षा प्रणाली में इस तरह के सुधार करना है कि देश दुनिया में ज्ञान की ‘सुपरपॉवर’ कहलाए. इससे पहले शिक्षा नीति को 1986 में तैयार किया गया और 1992 में संशोधित किया गया था.
पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी
शिक्षा नीति के तहत पांचवीं कक्षा तक के बच्चों की पढ़ाई उनकी मातृ भाषा या क्षेत्रीय भाषा में होगी, बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को इसमें कुछ कम किया गया है, विधि और मेडिकल कॉलेजों के अलावा अन्य सभी विषयों की उच्च शिक्षा के एक एकल नियामक का प्रावधान है, साथ ही विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए समान प्रवेश परीक्षा की बात कही गई है.
निजी और सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम बनाए गए
पुरानी नीति के 10+2 (दसवीं कक्षा तक, फिर बारहवीं कक्षा तक) के ढांचे में बदलाव करते हुए नई नीति में 5+3+3+4 का ढांचा लागू किया गया है. इसके लिए आयु सीमा क्रमश: 3-8 साल, 8-11 साल, 11-14 साल और 14-18 साल तय की गई है. एम.फिल खत्म कर दिया गया है और निजी और सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए समान नियम बनाए गए हैं.
नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी
केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "नई शिक्षा नीति के लिए परामर्श प्रक्रिया जनवरी 2015 में शुरू की गई थी. 33 चिन्हित किए गए विषयों पर बहुआयामी परामर्श प्रक्रिया में ग्राम स्तर से राज्य स्तर तक जमीनी स्तर पर परामर्श हासिल किए गए. लगभग 2.5 लाख ग्राम पंचायतों, 6600 ब्लॉक, 6000 शहरी स्थानीय निकायों, 676 जिलों और 36 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों में एक व्यापक, समयबद्ध, भागीदारी वाली परामर्श प्रक्रिया अपनाई गई."
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