10 बड़ी बातें: देश में आई नई शिक्षा नीति, प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक हुए अहम बदलाव
देश की शिक्षा नीति में ये बदलाव करीब 34 साल बाद पेश किया गया है. इसमें एक ओर प्राइमरी स्तर पर मातृ भाषा में शिक्षा का प्रावधान किया गया है तो ग्रेजुएशन स्तर पर डिग्री कोर्स को 4 साल तक का कर दिया गया है.
नई दिल्लीः देश में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव का एलान हुआ है. केंद्र सरकार ने बुधवार 29 जुलाई को देश में नई शिक्षा नीति की घोषणा की, जिसके तहत प्राइमरी से लेकर यूनिवर्सिटी स्तर तक की शिक्षा में व्यापक बदलाव किए गए हैं. इसके अलावा देश में शिक्षा का जिम्मेदारी संभाल रहे मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर भी शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है. नई शिक्षा नीति को व्यावहारिकता और कौशल विकास पर जोर दिया गया है.
देश की शिक्षा नीति में ये बदलाव करीब 34 साल बाद पेश किया गया है. इसमें एक ओर प्राइमरी स्तर पर मातृ भाषा में शिक्षा का प्रावधान किया गया है तो ग्रेजुएशन स्तर पर डिग्री कोर्स को 4 साल तक का कर दिया गया है.
नई शिक्षा नीति की 10 अहम बातें-
- कम से कम पांचवी कक्षा तक और संभव हो तो आठवीं और उसके आगे भी स्थानीय भाषा या मातृभाषा में पढ़ाई कराई जाएगी. यानी हिंदी, अंग्रेजी जैसे विषय भाषा के पाठ्यक्रम के तौर पर तो होंगे, लेकिन बाकी पाठ्यक्रम स्थानीय भाषा या मातृभाषा में होंगे.
- देश में 10+2 के आधार पर चलने वाली पद्धति में बदलाव होगा. अब ये 5+3+3+4 के हिसाब से पाठ्यक्रम होगा. यानी प्राइमरी से दूसरी कक्षा तक एक हिस्सा, फिर तीसरी से पांचवी तक दूसरा हिस्सा, छठी से आठवीं तक तीसरा हिस्सा और नौंवी से 12वीं तक आखिरी हिस्सा होगा.
- नई शिक्षा नीति में बोर्ड परीक्षाओं को तो बरकरार रखा गया है, लेकिन इन्हें ज्ञान आधारित बनाया जाएगा और उसमें रटकर याद करने की आदतों को कम से कम किया जाएगा.
- बच्चा स्कूली शिक्षा के दौरान अपनी रिपोर्ट कार्ड तैयार करने में भी भूमिका निभाएगा. अब तक रिपोर्ट कार्ड केवल अध्यापक लिखता है. लेकिन नई शिक्षा नीति में तीन हिस्से होंगे. पहला बच्चा अपने बारे में स्वयं मूल्यांकन करेगा, दूसरा उसके सहपाठियों से होगा और तीसरा अध्यापक के जरिए.
- इतना ही नहीं, अब कक्षा छठीं से ही छात्रों को कोडिंग भी पढ़ाई जाएगी, जो कि स्कूली शिक्षा पूरी करने तक उनके कौशल विकास (स्किल डेवलपमेंट) में मदद करेगी.
- अंडर ग्रेजुएट कोर्स को अब 3 की बजाए 4 साल का कर दिया गया है. हालांकि छात्र अभी भी 3 साल बाद डिग्री हासिल कर पाएंगे, लेकिन 4 साल का कोर्स करने पर, सिर्फ 1 साल में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर पाएंगे. 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए, जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं करना है. हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी
- इतना ही नहीं, ग्रेजुएशन के तीनों साल को सार्थक बनाने का भी कदम उठाया गया है. इसके तहत 1 साल बाद सर्टिफिकेट, 2 साल बाद डिप्लोमा और 3 साल बाद डिग्री हासिल हो जाएगी.
- इसके साथ ही Phil को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है, जबकि MA के बाद छात्र सीधे Phd कर पाएंगे.
- नई शिक्षा नीति में प्राइवेट यूनिवर्सिटी और गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी के नियम अब एक होंगे. अब किसी भी डीम्ड यूनिवर्सिटी और सरकारी यूनिवर्सिटी के नियम अलग अलग नहीं होंगे.
- नई नीति स्कूलों और एचईएस दोनों में बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है. राष्ट्रीय पाली संस्थान, फारसी और प्राकृत, भारतीय अनुवाद संस्थान और व्याख्या की स्थापना की जाएगी
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