Pamban Bridge Construction: तीर्थ स्थल रामेश्वरम (Rameshwaram) को समुद्र के रास्ते देश से जोड़ने वाला भारत का विश्व प्रसिद्ध पमबन ब्रिज (Pamban Bridge) अब 114 साल का हो गया है. बीच से दो हिस्सों में खुल कर जहाज़ों के लिए रास्ता देने वाले इस शानदार और खूबसूरत ब्रिज को रेलवे ने अब रिटायर करने का फ़ैसला कर लिया है. लेकिन  उससे पहले पमबन ब्रिज के ठीक बग़ल में एक नया पमबन ब्रिज बन कर लगभग तैयार है. ये ब्रिज देश का पहला ऐसा ब्रिज होगा जो बीच से ऊपर उठ जाएगा और उसके नीचे से समुद्री जहाज़ गुज़र सकेंगे. 


आपको बता दें कि 1964 के साइक्लोन में मौजूदा पुराना पम्बन ब्रिज छतिग्रस्त हो गया था. इसका कुछ हिस्सा समुद्र में बह गया था तब बाद में मेट्रो मैन के नाम से मशहूर हुए ई श्रीधरन ने इसे दोबारा ठीक कर के मजबूती दी थी.


आज भी इस पुराने पमबन ब्रिज से ही गुज़र कर ट्रेनें रामेश्वरम जाती हैं. लेकिन समुद्र के खारे पानी को एक सदी तक सहते रहने के कारण अब इसमें जंग लगने लगा है. इस ब्रिज से रोज़ाना 12 जोड़ी ट्रेनें गुजरती हैं. लेकिन कमजोर हो जाने के कारण अब इस ब्रिज से ट्रेनें महज़ 10 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से रेंगते हुए ही चल पाती हैं. जबकि नए बन रहे ब्रिज से ट्रेनें 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकेंगी.


नए पमबन ब्रिज की ख़ासियत


- ये देश का पहला वर्टिकल लिफ़्ट ब्रिज है.
- इसमें बीच का 72.5 मीटर का हिस्सा(स्पैन) अपने दोनों तरफ़ लगी लिफ़्टों के माध्यम से ऊपर की ओर इतना उठ जाएगा कि उसके नीचे से समुद्री जहाज गुज़र सकेंगे.
- ये ब्रिज 2.05 किलोमीटर लम्बा होगा.
- ये ब्रिज मंडपम रेलवे स्टेशन और रामेश्वरम रेलवे स्टेशन के बीच समुद्र के ऊपर बनाया जा रहा है.
- 560 करोड़ रूपए की लागत से बन रहा ये पुल इसी साल दिसम्बर में बन कर तैयार हो जाएगा


पुराने पमबन ब्रिज के साथ ये थी दिक्कत


पुराने पमबन ब्रिज का ये स्पेशल स्पैन बीच से दो हिस्सों में फ़्लैप की तरह दो हिस्सों में खुल जाता है जिससे इसके बीच से समुद्री जहाज़ निकलते रहे हैं. लेकिन मुश्किल ये थी कि इस काम के लिए इसके दोनों तरफ़ 16-16 व्यक्तियों को खड़े हो कर हाथों से स्ट्रिंग रोलिंग मशीन चलानी पड़ती थी तब कहीं जा कर ब्रिज का स्पैन खुल पाता था. लेकिन अब नए बन रहे वर्टिकल लिफ़्ट ब्रिज में ये सारा काम आटोमैटिक लिफ़्ट मशीन से होगा जिसमें सिर्फ़ बटन दबा देने से इसके दोनों ओर लगी लिफ़्टें एक साथ ब्रिज के स्पेशल स्पैन को ऊपर उठा देंगी और फिर इसके नीचे से समुद्री जहाज़ निकल सकेंगे.


रेलवे इंजीनियरों के मुताबिक दिसंबर 1964 में आए साइक्लोन से पंबन ब्रिज का आधे से ज्यादा हिस्सा बह गया था. इसके साथ ही 110 यात्रियों वाली पूरी की पूरी ट्रेन भी साइक्लोन में समा गई थी. लेकिन उसके बाद पंबन ब्रिज को दोबारा रिकॉर्ड 68 दिनों मे ठीक कर इस पर ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया था.


खास बात यह है कि रेलवे का अब जो ब्रिज तैयार किया जा रहा है उसमें ऐसी टेक्नोलॉजी लगी है जिससे इसमें 58 मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यदि हवाएं चलेंगी तो ऑटोमेटिक तरीके से अलर्ट सिग्नल जारी हो जाएगा और यदि कोई मैनुअल तरीक़े से ट्रेन का रास्ता क्लियर भी कर देता है तब भी ट्रेन को खतरे का सिग्नल मिल जाएगा और ट्रेन ब्रिज को क्रॉस नहीं कर पाएगी.


नए और पुराने पमबन ब्रिज में अंतर


- पुराना ब्रिज सिंगल लाईन का है जबकि नए पम्बन ब्रिज में डबल रेलवे ट्रैक बिछाया जा रहा है.
- पुराने ब्रिज में 147 पिलर हैं जबकि नया ब्रिज 101 पिलर्स पर बनाया गया है.
- नए ब्रिज में पिलर की गहराई 35 मीटर है.
- पुराने ब्रिज का स्पेशल स्पैन 68 मीटर का है जबकि नए ब्रिज का स्पेशल स्पैन 72.5 मीटर का होगा
- पुराने ब्रिज में एक सामान्य स्पैन 12 मीटर का है यानी दो पिलर की दूरी 12 मीटर की है जबकि नए ब्रिज में ये दूरी 18 मीटर की रखी गई है.


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