Delhi Liquor Policy: दिल्ली सरकार (Delhi Government) साल 2021 में नई आबकारी नीति (New Liqupr Policy) लेकर आयी थी जिसे अब दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने ही वापस ले लिया है. अब एक बार फिर दिल्ली में पुरानी आबकारी नीति लागू होगी. दरअसल 31 जुलाई को इसका समय पूरा हो रहा था और सरकार ने फिलहाल इस नीति को रिन्यू करने से इंकार कर दिया है.
ये फैसला उस वक्त लिया गया है जब दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना ने कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार की इस नई आबकारी नीति को लेकर CBI जांच की सिफारिश की थी. जिसमें ये कहा गया कि नई आबकारी नीति लागू करने के दौरान कई सारी अनियमितताएं पाई गईं और इसमें कुछ लोगों को राजनीतिक फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई.
अब जब सरकार ने इस नीति को वापस लेने का फ़ैसला कर लिया है तो सवाल ये उठ रहा है कि दिल्ली में अब शराब को लेकर क्या-क्या बदल जायेगा. इसके लिये हमें ये समझना होगा कि नई आबकारी नीति में क्या खास था.
क्यों खास थी दिल्ली की नई आबकारी नीति?
दिल्ली सरकार को 32 जोन में बांटा गया था. जिसके लिये 849 लाइसेंस आवंटित किए गए. इस तरह प्रत्येक जोन में औसतन 26 से 27 शराब की दुकानें खुल सकती थी. एक जोन में आठ से नौ वार्ड शामिल किए गए. इस तरह हर इलाके में आसानी से शराब उपलब्ध हो रही थी.
पुरानी शराब नीति में 60 फीसदी दुकानें सरकारी और 40 फीसदी दुकानें निजी हाथों में थी. जबकि नई नीति के बाद सभी 100 फीसदी दुकानें निजी हाथों में चली गई. सभी दुकानें मार्केट रेट के हिसाब से शराब की कीमत तय कर सकेगी. यही वजह है कि कई दुकानों ने अपने हिसाब से बड़े-बड़े ऑफर देने शुरू कर दिये.
नई नीति वापस लेने से क्या होगा?
नई शराब नीति वापस लेने से शराब की सभी प्राइवेट दुकानें बंद हो जाएंगी और सिर्फ सरकारी दुकानें ही खुल सकेंगी. शराब की किल्लत काफ़ी ज़्यादा बढ़ जायेगी क्योंकि आधे से ज्यादा दुकानें बंद हो जाएगी और सभी सरकारी दुकानों को खुलने में अभी और वक्त लगेगा. शराब अब MRP दाम पर ही बिकेगी यानि किसी शराब पर मिलने वाला किसी भी तरह का ऑफर खत्म हो जाएगा. यानी शराब की दुकानों पर मिल रहा 1 पर 1 मुफ्त वाला ऑफर भी ख़त्म हो जायेगा.
पुरानी पॉलिसी के तहत दिल्ली में 372 शराब की दुकानें चल रही थी. जिनमें अंग्रेजी शराब और बियर बेची जाती थी जबकि जबकि बाकी 88 दुकानों में देशी शराब ही बेची जाती थी. यानि अब एक बार फिर 372 सरकारी दुकानें ही खुल पायेंगी जबकि नई आबकारी नीति लागू होने के बाद से दिल्ली में 468 शराब की प्राइवेट दुकानें चल रही थी. ऐसे में पुरानी पॉलिसी लागू होने से परेशानी ना सिर्फ़ खरीदारों की बढ़ने वाली है बल्कि शराब से जुड़े व्यापारियों को भी करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ेगा.
शराब व्यापारियों का कितना नुकसान होगा?
दरअसल इस नई पॉलिसी के लिये जिन लोगों ने करोड़ों रुपये देकर लाइसेंस लिया है और साथ ही करोड़ों का माल दुकान में भरा है वो सब बेकार जायेगा. क्योंकि जब दुकान ही नहीं खुल पाएंगे तो कमाई कैसे होगी? यही वजह है कि जिन लोगों ने नई आबकारी नीति लागू होने के बाद लाइसेंस लेकर दुकानें खोली थी वो अब करोड़ों का नुकसान बचाने के लिये सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.
दिल्ली के शराब व्यापारी करम लांबा ने बताया कि इसमें करीब 100 करोड़ का इन्वेस्टमेंट होता है और अगर इस तरह अचानक से दुकानें बंद जायेगी तो ये अंदाजा लगाया जा सकता है कितने करोड़ का नुकसान शराब व्यापारियों को झेलना पड़ सकता है?
होटल और बार मालिकों को कितना नुकसान होगा?
इस नई नीति के बंद होने और पुरानी नीति के लागू होने के बाद नुकसान बार-रेस्टोरेंट, होटल और बैंक्वेट हॉल से जुड़े व्यापारियों को भी झेलना पड़ सकता है. व्यापारियों को डर है कि अचानक से दुकानें बंद हो जाने के बाद शराब की आपूर्ति नहीं हो पाएगी जिसकी वजह से उनके ग्राहक दिल्ली छोड़ पड़ोसी राज्यों में शिफ़्ट हो जायेंगे.
चैम्बर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री ( CTI) के चेयरमैन ब्रजेश गोयल ने कहा कि नई आबकारी नीति में ये भी प्रावधान था कि देर रात तक रेस्टोरेंट-बार में शराब परोसी जा सकती है लेकिन अब वो भी नहीं हो पायेगा साथ ही अगर दिल्ली में शराब की किल्लत बढ़ेगी तो दिल्ली के व्यापारियों को इसका भारी नुकसान झेलना पड़ेगा क्योंकि दिल्ली देश का राजधानी है और यहां देश और विदेश से हर तरह के लोग आते है ऐसे में शराब की किल्लत होने पर रेस्टोरेंट और होटल मालिकों को काफी नुकसान झेलना पड़ेगा.
हालांकि इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है कि नई आबकारी नीति अभी 1 महीने और दिल्ली में लागू रहेगी. एक महीने बाद ही इस नीति को हटाकर पुरानी नीति लागू की जाएगी. ये इसलिये किया गया है ताकि किसी प्रकार की किल्लत लोगों को ना झेलनी पड़े और साथ ही 1 महीने के अंदर सभी सरकारी दुकानें खुल सकें.
क्या बोले दिल्ली डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया?
पुरानी नीति लागू करने के फैसले पर सरकार भी मानती हैं कि इसका बहुत ज्यादा नुकसान झेलना पड़ेगा. इस पर आबकारी विभाग के मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में शराब व्यापारियों को ED और CBI का डर दिखाया जा रहा है जिसकी वजह से लोग लाइसेंस लेने से भी डर रहे है. यही वजह है कि पुरानी नीति वापस लागू की जा रही है.
बीजेपी पर आरोप लगाते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा कि इस सब के पीछे भाजपा का एक ही मकसद है कि दिल्ली में वैध तरीके से बिकने वाली शराब की बिक्री कम कर दी जाए ताकि यहां भी गुजरात की तरह भाजपा के लोग अवैध नकली शराब का अपना धंधा चला सकें. भाजपा दिल्ली में ऐसे हालात बनाना चाह रही है कि यहां वैध दुकानें बंद हो जाए और अवैध शराब का धंधा बढ़े.
बढ़ेगा भ्रष्टाचार - मनीष सिसोदिया
मनीष सिसोदिया ने कहा कि ऐसा होने पर भ्रष्टाचार तो बढ़ेगा साथ ही अवैध नकली शराब के कारण गुजरात की तरह दिल्ली में भी नकली शराब से मौतें होने लगेंगी. लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे. इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि दिल्ली में अब सरकारी दुकानों में ही शराब बेची जाएगी.
फ़िलहाल सरकार ने 1 महीने का समय इस नई पॉलिसी (New Liquor Policy) को ज़रूर दिया है लेकिन जानकारों की मानें तो 1 महीने में भी नई नीति बंद कर पुरानी नीति को लागू करना इतना आसान नहीं होगा. ऐसे में आने वाले दिनों में दिल्ली में शराब की क़िल्लत ज़रूर बढ़ सकती है.