New Parliament Building Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह पर जारी विवाद के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने ट्वीट कर विपक्ष पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि पिछले 9 वर्षों में 5 गैर-बीजेपी/विपक्षी राज्य सरकारों ने या तो नए विधानसभा भवन का उद्घाटन किया या शिलान्यास किया है. यह सब या तो मुख्यमंत्री ने किया या फिर पार्टी अध्यक्ष ने. इस दौरान एक बार भी राज्यपाल या राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया गया.
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि बहिष्कार स्पष्ट है. विपक्ष संसद भवन के निर्माण का विरोध कर रहा है क्योंकि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि निर्माण इतनी जल्दी पूरा हो जाएगा. विपक्ष के लिए सब कुछ बाउंसर की तरह हुआ है. बस अपना चेहरा बचाने के लिए वे बहिष्कार का नाटक कर रहे हैं. वीर सावरकर से जुड़े दिन संसद भवन खुलेगा, यह उनके लिए समारोह का विरोध या बहिष्कार करने का एक और कारण हो सकता है.
'विधानसभा के उद्घाटन में नहीं मिला राज्यपाल को न्योता'
असम के सीएम ने अपने बयान के साथ उन राज्यों का उदाहरण भी दिया जहां-जहां विधानसभा भवन के शिलान्यास के दौरान राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि 2014 में यूपीए के मुख्यमंत्रियों ने झारखंड और असम में विधानसभा भवन का शिलान्यास किया और राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया गया. 2018 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने नई विधानसभा की नींव रखी, राज्यपाल को नहीं बुलाया गया. 2020 में सोनिया गांधी ने छत्तीसगढ़ विधानसभा का शिलान्यास किया तब भी राज्यपाल को न्योता नहीं दिया गया. 2023 में तेलंगाना विधानसभा का उद्घाटन मुख्यमंत्री ने किया, जबकि राज्यपाल को न्योता नहीं मिला.
19 विपक्षी दलों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार
बता दें कि, अब तक 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा की है. इनमें कांग्रेस, टीएमसी, द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (द्रमुक), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल शामिल हैं.
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