New Old Parliament Difference: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) 28 मई को देश को नई संसद सौंपने जा रहे हैं. उद्घाटन समारोह के लिए सभी पार्टियों को निमंत्रण भेजा गया है. पार्लियामेंट की नई बिल्डिंग में राज्यसभा (Rajya Sabha) में 384 और लोकसभा (Lok Sabha) में 888 सदस्यों के बैठने के लिए व्यवस्था की गई है. इसके अलावा नया भवन पुराने भवन की तुलना में कई मामलों में अलग है. आपको बताते हैं कि संसद (Sansad) की नई और पुरानी इमारत में क्या-क्या अंतर है.


संसद के पुराने भवन का निर्माण 1921 में शुरू हुआ था. इसका शिलान्यास 12 फरवरी, 1921 को किया गया था और निर्माण 6 साल बाद 18 जनवरी 1927 में पूरा हुआ था. तब तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने पार्लियामेंट का उद्घाटन किया था. संसद के नए भवन की बात करें तो इसका शिलान्यास अक्टूबर 2020 में हुआ था. 10 दिसंबर, 2020 को पीएम मोदी ने इसकी आधारशिला रखी थी और अब 28 मई, 2023 को पीएम ही इसका उद्घाटन करने वाले हैं. 


कितना खर्च आया है?


दोनों भवनों पर हुए खर्च की बात करें तो पुराने भवन को बनाने में 83 लाख रुपये लगे थे. जबकि र‍िपोर्ट्स की मानें तो संसद के नए भवन के निर्माण में लगभग 1200 करोड़ रुपये की लागत आई है. नई संसद में ब्रिटिश हुकूमत की ओर से भारत को सत्ता हस्तांतरित करने के प्रतीक स्वरूप देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को दिए गए ऐतिहासिक सेंगोल को स्थापित किया जाएगा. 


दोनों भवनों के डिजाइन में क्या है अंतर?


आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने पुराने भवन का डिजाइन तैयार किया था. जबकि संसद के नए भवन को गुजरात की कंपनी एचसीपी ने डिजाइन क‍िया है. पुराना भवन गोलाकार शेप में है, जिसके बाहर 144 स्तंभ हैं. नए कॉम्प्लेक्स का आकार त्रिकोणीय है. 60,000 श्रमिकों ने संसद के नए भवन के निर्माण में योगदान दिया है.


कितने सदस्यों के बैठने की है व्यवस्था?


संसद का पुराना भवन 566 मीटर व्यास में बना था जबकि नए भवन का क्षेत्रफल 64,500 स्क्वैयर मीटर है. पुराने भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था है जबकि नए भवन में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है. 


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