New Parliament Inauguration: कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने शुक्रवार (26 मई) को सेंगोल को लेकर कही जा रही बातों को वॉट्सएप यूनिवर्सिटी से निकला फेक ज्ञान बताया. इसके जवाब में बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने उन्हें निशाने पर लेते हुए कहा कि अपने एक नाकाम लीडर को बचाने के लिए अपने सबसे बड़े लीडर नेहरू के इतिहास को भी नकारने लगे हैं. उन्होंने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी का विरोध करने के लिए जयराम रमेश नए संसद भवन का विरोध करने लगे हैं.
बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश पर उन्हें बचाने की कोशिश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक नाकाम नेता को बचाने के लिए नेहरू के इतिहास को नकारा जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कांग्रेस की ओर से पीएम मोदी का विरोध अब नए संसद भवन के विरोध तक पहुंच चुका है.
जयराम रमेश ने क्या कहा था?
जयराम रमेश ने एक ट्वीट करते हुए लिखा कि क्या ये चौंकाने वाला है कि नई संसद को वॉट्सएप यूनिवर्सिटी से मिले ज्ञान से दूषित किया जा रहा है. बिना सबूत के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाले बीजेपी-आरएसएस के लोग फिर से बेनकाब हो गए हैं. जिनके पास दावे बहुत हैं, तथ्य कम हैं.
उन्होंने अपनी बात को साबित करने के लिए तर्क भी रखे. जयराम रमेश ने लिखा कि यह सच है कि सेंगोल को तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक धार्मिक समूह ने बनाया था और मद्रास में तैयार करने के बाद इस राजदंड को अगस्त 1947 में देश के तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था.
'हस्तांतरण के प्रतीक का नहीं है कोई सबूत'
उन्होंने लिखा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू ने इस राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बताया हो. इस बारे में किए जा रहे तमाम दावे सीधे और साधारण तौर पर झूठे हैं. पूरी तरह से ये कुछ लोगों के दिमाग में उपजे और वॉट्सएप पर भेज दिया गया. अब मीडिया के ढोल बजाने वाले को पहुंचा दिया गया. दो महत्वपूर्ण स्कॉलर्स ने इन दावों पर आश्चर्य जताया है.
जयराम रमेश ने लिखा कि राजदंड को बाद में इलाहाबाद म्यूजियम में रखा गया. 14 दिसंबर 1947 में नेहरू ने क्या कहा, ये मायने रखता है नाकि उनके नाम के साथ क्या जोड़ा जा रहा है. उन्होंने लिखा कि अब इस राजदंड का इस्तेमाल पीएम मोदी के तमिलनाडु में सियासी जमीन को तैयार करने के लिए हो रहा है. यह इस ब्रिगेड की खासियत है, जो तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर अपना उद्देश्य पूरे करते हैं. उन्होंने लिखा कि असल सवाल ये है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन का उद्घाटन क्यों नहीं करने दिया जा रहा है?
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