New Parliament Building: नई संसद के उद्घाटन समारोह से बायकॉट पर पीएम मोदी का विपक्ष पर निशाना, ऑस्ट्रेलियाई नेताओं का किया जिक्र
New Parliament Building Inauguration: पीएम मोदी जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया के तीन देशों की यात्रा के समापन के बाद गुरुवार को दिल्ली पहुंचे.
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PM Modi On Opposition Boycott: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के विपक्ष के फैसले पर परोक्ष रूप से निशाना साधा. जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की तीन देशों की यात्रा पूरी करने के बाद पीएम गुरुवार (25 मई) की सुबह दिल्ली पहुंचे. सिडनी (Sydney) में अपने सामुदायिक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि भारतीय समुदाय के कार्यक्रम के दौरान न केवल ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और देश की सत्तारूढ़ पार्टी के पदाधिकारी बल्कि एक पूर्व प्रधानमंत्री और विपक्षी सदस्य भी मौजूद थे.
पीएम ने कहा कि ये लोकतंत्र का माहौल था कि हर कोई भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में शामिल हुआ. सभी ने भारतीय प्रतिनिधि को सम्मान दिया और ये मोदी के गौरव के बारे में नहीं, बल्कि भारत की ताकत के बारे में था. पीएम की ये टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है. विपक्षी दलों की मांग है कि नए संसद भवन का उद्घाटन पीएम को नहीं बल्कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को करना चाहिए.
"याद रखिए, यह बुद्ध की भूमि है"
पीएम मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान दूसरों देशों को कोविड वैक्सीन भेजने के लिए केंद्र की आलोचना के लिए भी विपक्ष को आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि संकट के समय, उन्होंने पूछा कि मोदी दुनिया को टीका क्यों दे रहे हैं. याद रखिए, यह बुद्ध की भूमि है, यह गांधी की भूमि है. हम अपने दुश्मनों की भी परवाह करते हैं, हम करुणा से प्रेरित लोग हैं.
"दुनिया भारत की कहानी सुनने को इच्छुक"
पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि दुनिया भारत की कहानी सुनने को इच्छुक है. उन्होंने कहा कि भारतीयों को अपनी महान संस्कृति और परंपराओं के बारे में बोलते समय कभी भी गुलाम मानसिकता से पीड़ित नहीं होना चाहिए और इसके बजाय साहस के साथ बोलना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह कहते हैं कि हमारे देश के तीर्थ स्थलों पर कोई भी हमला स्वीकार्य नहीं है तो दुनिया भी इससे सहमति व्यक्त करती है.
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