Sengol In New Parliament Building: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान भवन के अंदर सेंगोल स्थापित किया. ऐतिहासिक राजदंड सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की सीट के बगल में स्थापित किया गया है. इस दौरान लोकसभा स्पीकर ओम बिरला भी मौजूद रहे. एक दिन पहले तमिलनाडु के अधीनम (मठ) ने सेंगोल को प्रधानमंत्री को सौंपा था.


सेंगोल की स्थापना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण कर देश को समर्पित किया. नए संसद भवन के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भवन के निर्माण में काम करने वाले श्रमिकों को सम्मानित किया. उद्घाटन के बाद सर्वधर्म प्रार्थना सभा की गई. सर्वधर्म प्रार्थना में बौद्ध, ईसाई, जैन, पारसी, मुस्लिम, सिख समेत कई धर्मों के धर्मगुरु ने अपनी-अपनी प्रार्थनाएं कीं. इसमें प्रधानमंत्री व अन्य वरिष्ठ उपस्थित रहे.


शनिवार को संतों ने पीएम को सौंपा था सेंगोल


उद्घाटन से एक दिन पहले यानी शनिवार (27 मई) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर अधीनम (मठ) के संतों से मुलाकात की थी. इस दौरान संतों ने प्रधानमंत्री को 5 फीट लंबा सेंगोल पेश किया था. यह वही अधीनम है जिसे 15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी के मौके पर सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के दौर पर भारत के अंतिम अंग्रेज गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित जवाहर लाल नेहरू को सौंपा था.


तमिलनाडु को नहीं मिला महत्व- पीएम


इस दौरान पीएम ने कहा, ''हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया जो दिया जाना चाहिए था. अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है.''


उन्होंने कहा कि तमिल परंपरा में शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था, सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा.


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