New Parliament Building: राजदंड के सामने क्यों दंडवत हुए पीएम मोदी, जानें इसके पीछे की कहानी
Parliament Building Inauguration: नए संसद भवन के उद्घाटन पर पीएम मोदी को मदुरै के 293वें प्रधान पुजारी हरिहर देसिका स्वामीगल समेत कई अधीनम ने मिलकर राजदंड दिया.
New Parliament Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (28 मई) को नई संसद का उद्घाटन कर देश को समर्पित कर दी. इस दौरान वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अलग-अलग मठों से आए अधीनम (पुजारियों) ने पीएम नरेंद्र मोदी को सेंगोल यानी राजदंड दिया. राजदंड लेने से पहले पीएम मोदी ने सेंगोल को दंडवत प्रणाम किया. जिसके बाद उन्होंने इस राजदंड को नए संसद भवन में लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्पीकर ओम बिरला की मौजूदगी में स्थापित किया.
सेंगोल यानी राजदंड को प्रयागराज के नेहरु म्यूजियम से लाकर नए संसद भवन में स्थापित किया गया है. राजदंड के सामने पीएम मोदी के साष्टांग दंडवत प्रणाम ने सभी को चौंका दिया था. दरअसल, किसी को भी ऐसा होने की उम्मीद नहीं थी. सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर राजदंड के आगे पीएम मोदी क्यों दंडवत हुए? आइए जानते हैं कि क्या है इसके पीछे की कहानी...
पीएम मोदी को किसने दिया राजदंड?
नए संसद भवन के उद्घाटन पर पीएम मोदी को मदुरै के 293वें प्रधान पुजारी हरिहर देसिका स्वामीगल समेत कई अधीनम ने मिलकर राजदंड दिया. इस राजदंड का इतिहास करीब 2000 साल पुराना है और कहा जाता है कि ये चेरा राजाओं से लेकर चोल राजवंश तक जाता है. उस दौर में सत्ता परिवर्तन होने पर राजदंड नए राजा को दिया जाता था. भारत की आजादी के समय पीएम जवाहरलाल नेहरू को ये राजदंड दिया गया था.
राजदंड के आगे क्यों दंडवत हुए पीएम मोदी?
पीएम मोदी इससे पहले अयोध्या में रामलला के दर्शन करने के समय भी साष्टांग दंडवत प्रणाम कर चुके हैं. वहीं, नई संसद के उद्घाटन पर राजदंड सेंगोल के सामने पीएम मोदी का दंडवत होना लोगों को आश्चर्य से भर गया. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक भरतनाट्यम की मशहूर नृत्यांगना पद्मा सुब्रमण्यम ने सबसे पहले राजदंड यानी सेंगोल को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा था.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने बताया कि तमिल परंपरा में सेंगोल का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. छत्र, सेंगोल और सिंहासन के तौर पर तीन चीजें वास्तव में आपको राजा की शासन शक्ति की अवधारणा देती है. पद्मा सुब्रमण्यम ने कहा कि सेंगोल को शक्ति, नीति और न्याय का प्रतीक माना जाता है. ये कोई एक हजार साल पहले आई चीज नहीं है.
कहा जा सकता है कि सेंगोल को शक्ति, नीति और न्याय का प्रतीक माने जाने की वजह से ही पीएम मोदी ने राजदंड को दंडवत प्रणाम किया होगा. हालांकि, सियासी गलियारों में इस दंडवत प्रणाम को लोकसभा चुनाव 2024 से जोड़ कर भी देखा जा रहा है. माना जा रहा है कि इस राजदंड और दंडवत प्रणाम के जरिये पीएम मोदी दक्षिण भारत को साधने की कोशिश कर रहे हैं.
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