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दुनिया की संसदों से कितनी अलग है सबसे पुराने लोकतंत्र की नई संसद? ब्रिटेन, अमेरिका के मुकाबले क्या है इस इमारत की खूबियां

New Parliament Building: भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है और दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना लोकतंत्र है, नई संसद भवन का निर्माण भी इसी चीज को ध्यान में रखते हुए किया गया.

New Parliament Building Specification: आगामी 28 मई स्वतंत्र भारत के इतिहास के लिए एक ऐतिहासिक दिन होगा, इस दिन ही भारत के सबसे पुराने लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत यानी संसद को एक नया भवन मिलने जा रहा है, यह दिन भारत के संसदीय इतिहास के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है. नए भारत की नई जरूरतों के लिए बनी इस संसद की क्या खूबियां हैं, यह दुनिया के देशों से कितनी अलग है, और इसकी भव्यता क्या है, हम आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देंगे.

कल यानी रविवार (28 मई) को प्रधानमंत्री मोदी देश की नई संसद का उद्घाटन करेंगे इसके साथ ही नई संसद में ही आगे से देश के सभी राजनीतिक, प्रशासनिक मामलों की सुनवाई होगी. जनसंख्या के मामले में भारत दुनिया का सबसे बड़ा देश है. इतनी बड़ी आबादी के साथ यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे पुराना लोकतंत्र है. भारत का अपना बनाया हुआ नया संसद भवन इस लोकतंत्र की ताकत को नई पहचान दे रहा है. आखिर दुनिया के दूसरी संसदों के सामने भारत की नई संसद कहां खड़ी होती है?

विशालता की तुलना
दुनिया के देशों के मुकाबले अगर हम अपने देश की संसद की तुलना करें तो नई बनी संसद न सिर्फ सबसे भव्य है बल्कि यह दुनिया के देशों के मुकाबले सबसे बड़ी फैली हुई संसदों में से एक है. यह 9.5 एकड़ जमीन पर बनी हुई है. 

  • ब्रिटिश संसद- 5 एकड़
  • अमेरिकी संसद- 4 एकड़
  • जापानी संसद- 3.3 एकड़
  • हंगरी की संसद- 4.5 एकड़

ब्रिटेन की संसद- पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर
भारत को दो सौ साल से ज्यादा गुलाम रखने वाले ब्रिटेन की संसद को पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर के नाम से जाना जाता है. इस बिल्डिंग का एरिया करीब 5 एकड़ है. 4 मंजिली इस  इमारत में करीब 1,100 कमरे हैं. पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर लंदन में मौजूद है और इसका नाम यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में दर्ज है. इस इमारत में सबसे पुराना निर्माण 1099 में हुआ था मतलब बुनियादी तौर पर ये इमारत 1200 साल से ज्यादा पुरानी मानी जा सकती है.

अमेरिका की संसद- कैपिटल बिल्डिंग
अमेरिका की कैपिटल बिल्डिंग वाशिंगटन में मौजूद है. कैपिटल बिल्डिंग वो जगह है जहां सीनेट और प्रतिनिधि सभा राष्ट्रीय नीति पर चर्चा, बहस और विचार-विमर्श करते हैं और आम सहमति से देश के लिए कानून बनाते हैं. ठीक वही काम जो हमारी संसद करती है. कैपिटल बिल्डिंग 4 एकड़ में बनी है. इसमें 540 से ज्यादा कमरे हैं और इसके शिखर पर एक शानदार सफेद गुंबद है जो अमेरिकी लोकतंत्र का प्रतीक बन चुका है. 

इसका डिजाइन 1793 में राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन ने चुना था जिसके तुरंत बाद इसको बनाने का काम शुरू कर दिया गया. मतलब ये बिल्डिंग भी काफी पुरानी है. अमेरिका की संसद तो पांच सौ साल से ज्यादा पुरानी है फिर भी उसे दोबारा बनाने की जरूरत नही पड़ी. भारतीय संसद 100 साल से भी कम वक्त में आट डेटेड क्यों हो गई. क्या इसकी वजह ये हो सकती है कि इसे संसद की जरूरतों के हिसाब से नहीं बल्कि वायसरॉय की जरूरत और ऐश्वर्य के हिसाब से बनाया गया था?

जापान की संसद- नैशनल डायट
जापान की संसद का नाम नैशनल डायट यानी राष्ट्रीय आहार है. यहां भी दो सदन ही होते हैं निचली और ऊपरी सदन. जापानी संसद यानी नैशनल डायट राजधानी टोक्यो में मौजूद है. जापानी संसद के भी दोनों सदन इसी भवन में मिलते हैं देश के लिए कानून बनाने का काम करते हैं. मौजूदा डाइट बिल्डिंग का निर्माण 1920 में शुरू हुआ और लगभग 17 साल बाद नवंबर 1936 में बनकर तैयार हुआ. यानी ये बिल्डिंग भारत की पुरानी संसद के बाद बनी है.

ऑस्ट्रेलिया की संसद- द कॉमनवेल्थ पार्लियामेंट
ऑस्ट्रेलिया की संसद कैनबरा शहर में मौजूद है और 59 एकड़ में फैला हुआ है इसमें 4500 कमरे हैं. ऑस्ट्रेलियाई संसद भारत की नई संसद की तरह ही दुनिया से नए पार्लियामेंट हाउसेस में शामिल है. इसका निर्माण 1981 में शुरू हुआ और 1988 में ये इमारत पूरी तरह बनकर तैयार हुई. गौर करने वाली बात ये है कि इसका डिजाइन एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के जरिए चुना गया था.

हंगरी की पार्लियामेंट- नेशनल असेंबली
यूरोपीय देश हंगरी की पार्लियामेंट को नेशनल असेंबली कहा जाता है. बुडापेस्ट में मौजूद ये बिल्डिंग 2011 में विश्व की धरोहर के तौर पर दर्ज हो चुकी है. ये बिल्डिंग 1904 से इस्तेमाल की जा रही है. इसकी सजावट असली सोने से की गई है. पूरी इमारत में 40 किलोग्राम सोने का उपयोग किया गया है. इस भवन में 152 मूर्तियां भी मौजूद हैं. इसके लाल कालीन करीब 3 किलोमीटर तक लंबे हैं.

भारत की संसद
और अब बात भारत की नई संसद की जिसे तीन साल के अंदर करीब 1200 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है. ये इमारत दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक से तैयार हुई है. साढ़े नौ एकड़ में फैली है और आने वाली सदियों की जरूरत के हिसाब से बनाई गई है. वैसे भी दुनिया के सबसे ओरिजिनल लोकतंत्र की ये सबसे ओरिजिनल इमारत. हर भारतीय ही नहीं बल्कि लोकतंत्र में भरोसा रखने वाले हर शख्स के लिए गौरव और सम्मान की इमारत है.

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