New Parliament Inauguration Full Details: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) रविवार (28 मई) को देश को नया संसद भवन समर्पित करेंगे. उद्घाटन समारोह की शुरुआत सुबह हवन और पूजा के साथ होगी और पीएम मोदी के संबोधन के साथ कार्यक्रम समाप्त होगा. आपको बताते हैं कि उद्घाटन समारोह का पूरा शेड्यूल क्या है. साथ ही आपको नए और पुराने भवन में अंतर, किस-किसको निमंत्रण भेजा गया समेत सभी जानकारी देते हैं.
सुबह 7.30 बजे से समारोह की शुरुआत हवन के साथ होगी. इसके लिए गांधी प्रतिमा के पास पंडाल लगाया जाएगा. इस पूजा में प्रधानमंत्री मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत कई मंत्री मौजूद रहेंगे. इसके बाद सुबह 8.30 से 9.00 बजे के बीच में तमिलनाडु से संबंध रखने वाले और चांदी से निर्मित एवं सोने की परत वाले ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा. अगस्त 1947 में सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया गया ये रस्मी राजदंड इलाहाबाद संग्रहालय की नेहरू दीर्घा में रखा गया था.
उद्घाटन समारोह का पूरा कार्यक्रम
सुबह 9-9.30 बजे प्रार्थना सभा होगी. शंकराचार्य सहित कई बड़े विद्वान, पंडित और संत इस प्रार्थना सभा में उपस्थित रहेंगे. समारोह का दूसरा चरण दोपहर 12 बजे राष्ट्रगान के साथ शुरू होगा. इस अवसर पर दो शॉर्ट फिल्में दिखाई जाएंगी. इसके बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संदेश को राज्यसभा के उपसभापति की ओर से पढ़कर सुनाया जाएगा. फिर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे के अभिभाषण का प्रावधान किया गया है. हालांकि उन्होंने समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष भी संबोधित करेंगे.
स्मारक सिक्का किया जाएगा जारी
इस मौके पर 75 रुपये का स्मारक सिक्का और मोहर भी जारी किया जाएगा. 35 ग्राम वजनी ये सिक्का यह चार धातुओं से बनाया गया है. इसके एक ओर अशोक स्तंभ का शेर है, जिसके नीचे सत्यमेव जयते लिखा है और बाईं तरफ देवनागरी में भारत और दाईं ओर अंग्रेजी में इंडिया लिखा है. साथ ही रुपये का प्रतीक चिन्ह भी मौजूद है. सिक्के के दूसरी तरफ नए संसद भवन की तस्वीर है. इस कार्यक्रम के अंत में प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन होगा. कार्यक्रम का समापन दोपहर करीब 2-2.30 बजे होगा.
नई संसद की खासियतें
नए संसद भवन की आधारशिला पीएम मोदी ने 10 दिसंबर, 2020 को रखी थी. नए भवन को गुजरात की कंपनी एचसीपी की ओर से डिजाइन किया है. इसमें लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 384 सदस्य के बैठने की क्षमता है, संयुक्त सत्र के लिए लोकसभा हॉल में 1,272 सदस्य बैठ सकते हैं. टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड की ओर से निर्मित नए भवन में एक भव्य संविधान हॉल, संसद सदस्यों के लिए एक लाउंज, एक लाइब्रेरी, कैफे, डाइनिंग एरिया, कमेटी मीटिंग के कमरे, बड़े पार्किंग एरिया के साथ-साथ वाआईपी लाउंज की भी व्यवस्था की गई है.
त्रिभुजाकार वाले चार मंजिला संसद भवन का निर्मित क्षेत्र 64,500 वर्ग मीटर है. भवन के तीन मुख्य द्वार हैं- ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार. इसमें वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं. नया संसद भवन दिव्यांगों के अनुकूल होगा और मंत्रिपरिषद के इस्तेमाल के लिए करीब 92 कमरे होंगे. नए संसद भवन के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री देश के विभिन्न हिस्सों से लाई गई है.
नई बिल्डिंग की लागत
टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड ने नए संसद भवन के निर्माण की बोली 861.90 करोड़ रुपये की लागत से जीती थी. हालांकि, वर्ष 2020 में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद को सूचित किया था कि नए भवन के निर्माण की अनुमानित लागत 971 करोड़ रुपये है. पिछले साल, मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि नए संसद भवन की लागत बढ़कर 1,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है.
नया संसद भवन किसका प्रतीक है?
नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत (आत्मनिर्भर भारत) की भावना का प्रतीक है. संसद का नवनिर्मित भवन, जो भारत की गौरवशाली लोकतांत्रिक परंपराओं और संवैधानिक मूल्यों को और समृद्ध करने का काम करेगा, अत्याधुनिक सुविधाओं से भी लैस है, जो सदस्यों को अपने कार्यों को बेहतर तरीके से करने में मदद करेगा.
किसको भेजा गया समारोह का निमंत्रण?
भवन के उद्घाटन समारोह के लिए सभी सांसदों और प्रमुख नेताओं को न्यौता भेजा गया है. साथ ही केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों के सचिवों, भवन के मुख्य वास्तुकार बिमल पटेल, उद्योगपति रतन टाटा को भी आमंत्रित किया गया है. खिलाड़ियों और फिल्मी सितारों समेत कई प्रमुख हस्तियों को भी निमंत्रण भेजा है.
जानिए पुरानी पार्लियामेंट के बारे में
संसद के मौजूदा भवन की बात करें तो ये लगभग 100 साल पुराना है, जिसका निर्माण कार्य 1927 में पूरा हुआ था. इस इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था और तत्कालीन वाइसरॉय लॉर्ड इरविन ने इसका उद्घाटन किया था. उस समय इसे ‘काउंसिल हाउस’ के रूप में जाना जाता था. पुरानी संसद में कुल 12 गेट हैं.
क्यों पड़ी नए भवन की जरूरत?
सेंट्रल विस्टा की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, पुरानी इमारत सुविधाओं और प्रौद्योगिकी के मामले में वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं है. इन कारकों को ध्यान में रखते हुए, लोकसभा और राज्यसभा ने प्रस्ताव पारित कर सरकार से संसद के लिए एक नई इमारत बनाने का आग्रह किया था.
नई और पुरानी संसद में अंतर
संसद के पुराने भवन का निर्माण 6 साल में पूरा हुआ था. जबकि नया भवन 3 साल से भी कम समय में तैयार कर दिया गया. पुरानी पार्लियामेंट को बनाने में 83 लाख रुपये खर्च हुए. जबकि नए भवन के निर्माण में 1200 करोड़ से ज्यादा की लागत आई. पुरानी इमारत की शेप गोलाकार है. जबकि नई बिल्डिंग त्रिकोणीय शेप में है. नए भवन का क्षेत्रफल 64,500 स्क्वैयर मीटर है. जबकि पुराना भवन 566 मीटर व्यास में बना था. पुराने भवन में लोकसभा में 550 और राज्यसभा में 250 सदस्य बैठ सकते हैं. जबकि नई संसद में लोकसभा में 888 और राज्यसभा में 384 सदस्यों के बैठने की क्षमता है.
उद्घाटन समारोह को लेकर छिड़ा विवाद
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नई संसद के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार की घोषणा की है. विपक्षी दलों का कहना है राष्ट्राध्यक्ष होने के नाते राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नए संसद भवन का उद्घाटन करना चाहिए. वहीं एनडीए के घटक दल और कुछ अन्य पार्टियों समेत अब तक 25 दलों ने समारोह में शामिल होने की घोषणा की है.
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