New Parliament Special Session: गणेश चतुर्थी के दिन संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही नई संसद में शुरू हो गई. यहां संबोधन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत की बहुदलीय व्यवस्था में एकजुट होने का आह्वान किया. इस दौरान उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भी याद किया. संसद में रखे गए सेंगोल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह पहले पंडित नेहरू के हाथों में शोभा देता था, जो हमें अतीत से वर्तमान को जोड़ता है.
पीएम मोदी ने कहा, "संसद में एक ऐतिहासिक विरासत रखी हुई है. वह है सेंगोल. यह हमारे समृद्धि इतिहास को वर्तमान से जोड़ता है. और जब आज हम नए सदन में प्रवेश कर रहे हैं, संसदीय लोकतंत्र है तो यह आजादी की पहली किरण का साक्षी है, जो आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरणा देने वाला है. यह पवित्र सेंगोल है. इसको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने स्पर्श किया था. पंडित नेहरू के हाथों पूजा विधि करके आजादी के पर्व का प्रारंभ हुआ था और इसीलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. अतीत के साथ वर्तमान को यह सेंगोल जोड़ता है."
'सेंगोल गर्व और प्रेरणा का कारण'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "तमिलनाडु की महान परंपरा का प्रतीक तो यह है ही, देश की एकता का भी प्रतीक है और हम सभी माननीय सांसद हमेशा यह याद रखें कि यह पवित्र सेंगोल जो पंडित नेहरू के हाथों में शोभा देता था, वह आज हम सबकी प्रेरणा का कारण बन रहा है. इससे बड़ा गर्व और क्या हो सकता है.''
जैन धर्म के विशेष शब्द के ज़रिए कही बड़ी बात
इसके साथ ही पीएम मोदी ने सबको एकजुट होकर देशहित में काम करने का आह्वान करते हुए कहा, ''यह समय अतीत की हर कड़वाहट को भुलाने का समय है. मेरी तरफ से सभी को मिच्छामी दुक्कड़म. आज संवत्सरी भी मनाई जाती है, यह एक अद्भुत परंपरा है. आज वह दिन है जब हम 'मिच्छामी दुक्कड़म' कहते हैं, इससे हमें किसी ऐसे व्यक्ति से माफी मांगने का मौका मिलता है, जिसे हमने जानबूझकर या अनजाने में ठेस पहुंचाई है. मैं भी कहना चाहता हूं ' मिच्छामी दुक्कड़म', संसद के सभी सदस्यों और देश के लोगों को.''
पीएम ने कहा, ''जैन धर्म के मुताबिक मिच्छामी का अर्थ क्षमा करने से और दुक्कड़म का अर्थ गलतियों से है. इसका मतलब होता है कि मेरे द्वारा जाने-अनजाने में की गई गतलियों के लिए मुझे क्षमा करें.''