New Parliament: संसद का विशेष सत्र चल रहा है और मंगलवार (19 सितंबर) की कार्रवाई नए संसद भवन में होगी. इससे पहले 28 मई 2023 को इस नए संसद भवन का उद्घाटन किया था. बेहद भव्य और त्रिभुजाकार बने इस नए संसद भवन में कई विशेषताओं के साथ उत्कृष्ट कलाकृतियों का समागम है. 971 करोड़ रुपये की लागत से बनी ये बिल्डिंग भारत की प्रगति का प्रतीक है और ये सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है.


पुराने संसद भवन को अगर देखें तो ये गोलाकार आकार का है लेकिन नया संसद भवन तिकोने आकार का है. ऐसा क्यों? इसके पीछे कारण छिपा हुआ है. इसके त्रिकोणीय होने के पीछे वैदिक संस्कृति और तंत्रशास्त्र से गहरा नाता है. तो आइए इसे जान लेते हैं.


तीन भूखंडों पर स्थित है नई संसद


नई संसद में पुराने की अपेक्षा सुविधाएं भी अधिक दी गई हैं. लोकसभा को राष्ट्रीय पक्षी मोर की थीम पर तैयार किया गया है और इसमें 888 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है जबकि राज्यसभा को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर तैयार किया गया जिसमें 348 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है. अगर संयुक्त सत्र होगा तो इस नए संसद भवन में 1272 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था है.


त्रिभुजाकार होने का धार्मिक महत्व


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक नए संसद भवन के बारे में बात करते हुए नई संसद के आर्किटेक्ट बिमल पटेल ने कहा था, “नया संसद भवन त्रिभुज के आकार में डिजायन किया गया है. इसके आकार का संबंधन वैदिक संस्कृति और तंत्रशास्त्र से जुड़ा हुआ है. सबसे पहली बात तो ये है कि त्रिकोणीय भूखंड पर स्थित है जिसके तीन हिस्से हैं- लोकसभा, राज्यसभा और एक सेंट्रल लाउंज. त्रिकोणीय आकार देश के अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों में पवित्र ज्यामिति का प्रतीक है.”


उन्होंने आगे कहा, “इसका धार्मिक महत्व भी है. हमारे कई पवित्र ग्रंथों में त्रिभुज के आकार का महत्व है. श्रीयंत भी तिकोने आकार का है और तीन देवता या त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) भी त्रिभुज के प्रतीक हैं. इसीलिए तिकोने आकार का नया संसद भवन बेहद पवित्र और शुभ है.”


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