नई दिल्ली: लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और उसके चुनाव चिन्ह 'बंगला' पर चिराग और पारस गुट के परस्पर दावों के बाद चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश में पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के इस्तेमाल पर रोक लगाने का निर्णय लिया था. दोनों गुटों को आयोग ने 4 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे तक अपने अपने गुट के लिए नया नाम और सिंबल का तीन विकल्प देने का आदेश दिया था. 


चिराग पासवान ने चुनाव आयोग को एक पत्र लिखकर इस मामले में पशुपति पारस गुट पर आरोप लगाए हैं. चिराग ने आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि 4 अक्टूबर को दोपहर 1 बजे की समयसीमा ख़त्म होने के बाद भी पारस गुट ने आयोग के सामने पार्टी और सिंबल का तीन विकल्प नहीं दिया जिसके चलते आयोग ने फ़ैसला नहीं किया. 


चिराग ने पत्र में आरोप लगाया है कि पशुपति पारस का गुट जानबूझकर नामों और सिंबल का तीन विकल्प देने में देरी कर रहा है ताकि आयोग फ़ैसला नहीं कर सके. चिराग का आरोप है कि आयोग की ओर से फ़ैसले में हो रही देरी का असर उनकी चुनावी तैयारियों पर पड़ रहा है क्योंकि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा की दो सीटों पर 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनाव में अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है. उपचुनाव के लिए उम्मीदवारी का नामांकन दाख़िल करने की आख़िरी तारीख़ 8 अक्टूबर रखी गई है. 


मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए चिराग ने कहा है कि चूंकि पारस गुट को उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारना है इसलिए जानबूझकर उनकी पार्टी की चुनावी सम्भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. 


हालांकि पारस गुट इस मामले में चिराग पासवान के आरोपों को खारिज़ कर रहा है. ख़ुद केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि उनके गुट ने 4 अक्टूबर को निर्धारित समयसीमा से पहले ही आयोग को अपना जवाब और विकल्प भेज दिया है. पारस ने बताया कि उनके पास आयोग की ओर से दिया गया पावती पत्र ( Receipt ) भी है. 


चिराग के आरोपों के उलट उन्होंने दावा किया कि चिराग पासवान के गुट ने ही समयसीमा के भीतर अपना जवाब चुनाव आयोग को नहीं भेजा.  अब संभावना जताई जा रही है कि आज किसी वक्त चुनाव आयोग दोनों गुटों के नए नाम और सिंबल को लेकर अपना आदेश जारी कर देगा. 


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