नई दिल्ली: राजनीतिक दलों को अब विदेश से मिलने वाले चंदे की जानकारी देनी होगी. हालांकि अब से पहले मिले विदेशी चंदे की जानकारी देने की जरूरत नहीं है. पिछले हफ्ते पेश हुए बजट में इससे जुड़ा प्रावधान पास कराया गया है.
राजनीतिक दलों पर नजर रखने वाली संस्था असोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक राइट्स ADR द्वारा हाल में जारी की गई रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई थी कि पार्टियों को विदेश से मिलने वाले चंदे में कई तरह की गड़बड़ियां थी. चंदा देने वाली कम्पनियों के रिकॉर्ड और दस्तावेज अधूरे थे. एक बात ये भी सामने आई थी कि चंदे का ज्यादातर हिस्सा बीजेपी को मिला है. ये रिपोर्ट साल 2016-17 और 2017-18 में मिले चंदे पर आधारित थी.
राजनीतिक दलों को मिलने वाले विदेशी चंदे को लेकर सवाल उठते रहे हैं. यही वजह है कि अब इसको लेकर सरकार ने कदम उठाया है. अब नए प्रावधान से पार्टियों को आधिकारिक रूप से विदेशी चंदे का विवरण देना होगा. हालांकि अब से पहले के विदेशी चंदे की जानकारी कभी सामने नहीं आ पाएगी.
नए प्रावधान का सरकार और विपक्षी दलों के नेताओं ने स्वागत किया है. कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि मैं इसके पक्ष में हूं, पारदर्शिता होनी चाहिए. वहीं बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने कहा कि चुनाव सुधार की दिशा में अच्छा कदम है. इससे किसी भी पार्टी को नुकसान या लाभ नहीं होगा.
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016-17 और 17-18 के बीच कंपनियों से मिले चंदे के तहत बीजेपी को 1731 कंपनियों से लगभग 915 करोड़ मिले. जबकि कांग्रेस को 151 कम्पनियों से मात्र 55 करोड़ मिले. एनसीपी को 23 कम्पनियों से 7 करोड़ चंदा मिला.
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2016 से 2018 के बीच बीजेपी, कांगेस, सीपीएम समेत सभी छः राष्ट्रीय पार्टियों को 1059 करोड़ चंदा मिला जो एक बार में 20,000 रुपए से ज्यादा था. इसका 93% हिस्सा यानी करीब 958 करोड़ कम्पनियों से मिला था.
राष्ट्रीय पार्टियों को मिलने वाले चंदे में करीब 22 करोड़ रुपए ऐसी कम्पनियों से मिले जिनके बारे में ये बात स्पष्ट नहीं थी कि वो क्या काम करती हैं. वहीं करीब 120 करोड़ देने वाली 916 कंपनियों के पते का जिक्र नहीं था. 76 कंपनियां ऐसी थी जिनके PAN खातों की जानकारी नहीं थी और जिन्होंने पार्टियों को 2 करोड़ का चंदा दिया था.