Make in India Stealth Submarines: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए प्रोजेक्ट 75 (आई) के तहत देश में ही बनने वाली 06 'स्टेल्थ' पनडुब्बियां के लिए मझगांव डॉकयार्ड और प्राईवेट कंपनी, एलएंडटी को आरएफपी यानि रिक्यूसेट फॉर प्रपोजल भेज दिया है. आरएफपी के तहत अब इन दोनों शिपयार्ड्स को पनडुब्बी बनाने वाली विदेश की पांच बड़ी कंपनियों में से किसी एक के साथ करार करना है.  इन पांच कंपनियों का चयन भी का मंत्रालय ने किया है.


ये पांच कंपनियां रूस की रोसोबोरोनएक्सपोर्ट, फ्रांस की नेवल ग्रुप-डीसीएनएस, जर्मनी की थायसेनक्रूप, स्पेन की नोवंटिया और दक्षिण कोरिया की डेइवू हैं. इस प्रोजेक्ट की कुल कीमत करीब करीब 40 हजार करोड़ है. किसी एक विदेशी कंपनी से करार करने के बाद दोनों भारतीय शिपयार्ड (मझगांव और एलएंडटी) अपना प्रपोजल रक्षा मंत्रालय को सौंपेंगे. इसके बाद का मंत्रालय तय करेगा कि किस एक शिपायर्ड को इन छह पनडुब्बी बनाने की जिम्मेदारी देनी है.


हिंद महासागर में चीन के बढ़ती मौजूदगी के बीच भारतीय नौसेना को अपने जंगी बेड़े को बढ़ाने की एक बड़ी चुनौती है. चीनी नौसेना के पास इस समय 75-80 पनडुब्बियां हैं. हिंद महासागर में श्रीलंका, बर्मा, पाकिस्तान और जिबूती में चीन अपने बंदरगाह और मिलिट्री-बेस तैयार कर रहा है जिसके कारण चीनी नौसेना के युद्धपोतों की मौजूदगी भी भारत की समुद्री-सीमाओं के पास बढ़ गई है. इसके अलावा पाकिस्तान के लिए भी चीन आठ (08) पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है.


जबकि, मौजूदा समय में भारतीय नौसेना के पास 12 कन्वेंशनल पनडुब्बी हैं और दो परमाणु पनडुब्बियां हैं. इनमें से एक परमाणु उर्जा से चलने वाले पनडुब्बी, आईएनएस चक्र है जो भारत ने रूस से लीज़ पर ली है. एक अनुमान के मुताबिक, भारतीय नौसेना को कम से कम 18 कन्वेंशनल (किलर सबमरीन यानि एसएसके), 06 परमाणु संचालित पनडुब्बी (न्युक्लिर सबमरीन यानि एसएसएन) और कम से कम 04 परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियों ( न्युकिलर बैलेस्टिक मिसाइल सबमरीन यानि एसएसबीएन) की जरूरत है.


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