नई दिल्ली: कोरोना महामारी के बीच भारत अब तक मुल्कों की मदद करता आया. लेकिन घरेलू मोर्चे पर उठ खड़े हुए भीषण संकट के बीच अब भारत सरकार ने दुनिया में सभी संभावित स्रोतों को खंगालने क़ई कवायद तेज कर दी है.


उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इसके नतीजे भी मिल जाएंगे और तरल ऑक्सीजन समेत अन्य जरूरी साजो सामान की किल्लत कम की जा सकेगी. सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय और केबिनेट सचिव की अगुवाई में हुई हालिया बैठक के बाद विदेश मंत्रालय ने अपने सभी दूतावासों से तरल ऑक्सीजन, दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए सभी संभावित स्रोत तलाशने के लिए कहा है.


भारतीय दूतावासों को एक आपात सन्देश भेज गया है


साथ ही इन आपूर्तिकर्ताओं के साथ त्वरित और भरोसेमंद सप्लाई के लिए अनुबंध की भी व्यवस्था करने को भी कहा गया है. सूत्र बताते हैं कि विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला की तरफ से इसके लिए बाकायदा सभी प्रमुख भारतीय दूतावासों को एक आपात सन्देश भेज गया है. इसमें भारतीय मिशनों को विदेशी कम्पनियों से सम्पर्क कर चिकित्सा ज़रूरतों की आपूर्ति के लिए तत्काल चिह्नित करने के लिए कहा गया है.


इसके अलावा अधिकार प्राप्त मंत्री समूह भी इसके लिए काम कर रहा है जिसमें स्वास्थ्य, फार्मा, विदेश समेत अनेक मंत्रालयों के अधिकारी इसमें शामिल हैं. भारत सरकार ने ही स्वास्थ्य मंत्रालय के सार्वजनिक उपक्रम एचएलएल लाइफकेयर के माध्यम से तत्काल 50 हज़ार टन ऑक्सीजन आयात करने के लिए प्रकिया शुरू की है.


5 हज़ार मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन की सप्लाई करनी होगी


इस कड़ी में आपूर्तिकर्ताओं के साथ एक अहम बैठक 20 अप्रैल को होनी है. सभी आपूर्तिकर्ता कम्पनियों के लिए शर्त है कि ऑर्डर मिलने के 30 दिन के भीतर उन्हें कम से कम 5 हज़ार मीट्रिक टन तरल ऑक्सीजन की सप्लाई करनी होगी. ध्यान रहे कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण देश के क़ई सरकारी व निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की किल्लत महसूस की जा रही है.


देश में चिकित्सा इस्तेमाल के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति सुनिश्चित करने की खातिर रेल मंत्रालय खास इंतजाम कर रहा है. वहीं देश के अहम बंदरगाहों पर भी आयातित ऑक्सीजन को फौरन आगे पहुंचाए जाने के लिए इंतज़ाम किए गए हैं.


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