मानसून की दस्तक के साथ दिल्ली पर मंडराया नया खतरा, डेंगू, मलेरिया के 73 मामले दर्ज
दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्य डॉ.पंकज सोलंकी ने कहा है कि यदि कोविड-19 और वेक्टर-जनित बीमारियां मिल गईं तो स्थिति बहुत खराब हो सकती है. उन्होंने कहा कि पहले से ही कोविड -19 संक्रमण से पीड़ित रोगियों में ब्लड प्लेटलेट्स में आई गिरावट घातक साबित होगी.
नई दिल्ली: कोविड-19 महामारी के बीच एक और लड़ाई राष्ट्रीय राजधानी के सिर पर मंडरा रही है. दिल्ली में वेक्टर जनित बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं. तीनों नगर निगमों द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, शहर में अब तक डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के 73 मामले दर्ज किए गए हैं. इन 73 मामलों में से 38 मलेरिया के हैं, 22 डेंगू के हैं और शेष 13 चिकनगुनिया के हैं.
पिछले साल इस वक्त ज्यादा था प्रकोप हालांकि, इस संख्या को लेकर अधिकारी काफी आशावादी हैं. उनका मानना है कि स्थिति नियंत्रण में है क्योंकि पिछले वर्ष की तुलना में यह संख्या 30 प्रतिशत कम है. 2019 में शहर में इस समय तक डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया के 107 मामले दर्ज हो चुके थे.
फॉगिंग, एंटी-लार्वा स्प्रे की लिया जा रहा है सहारा उत्तरी दिल्ली नगर निगम की अतिरिक्त नगर आयुक्त इरा सिंघल ने कहा, "स्थिति नियंत्रण में है और आने वाले दिनों में इससे निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैं. सिंघल ने यह भी कहा कि एमसीडी कर्मचारी इस प्रकोप को रोकने के लिए तमाम उपाय कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "घरों में मच्छरों के प्रजनन की जांच, फॉगिंग, एंटी-लार्वा स्प्रे आदि कर रहे हैं. इसके अलावा हम निवासियों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी कर रहे हैं."
जारी किए जा चुके हैं 11,942 कानूनी नोटिस सिंघल ने यह भी कहा कि एमसीडी निरीक्षण अभियान चला रही है. उन लोगों या प्रतिष्ठानों को दंडित किया जा रहा है, जहां मच्छरों के प्रजनन स्थल पाए जाते हैं. आंकड़ों के अनुसार, निगमों ने अब तक 11,942 कानूनी नोटिस दिए हैं और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ 106 अभियोग चलाए हैं.
आरडब्ल्यूए ने जताई चिंता अधिकारियों ने बताया कि निगम ने व्यापारियों के संघों और आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर खुली नालियों को ढंका था. हालांकि, आरडब्ल्यूए ने एमसीडी अधिकारियों के दावों का खंडन किया है. पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष वोहरा ने कहा, "जमीनी स्तर पर बहुत कम काम हुआ है. पूर्वी दिल्ली के इलाकों में कई नालियां अभी भी ठीक नहीं हैं. गाद जमा होने के कारण कुछ ही मिनट की बारिश में कॉलोनियों में पानी भर रहा है. यदि इसे ठीक नहीं किया गया तो डेंगू और मलेरिया से लड़ने के सारे प्रयासों पर पानी फिर जाएगा."
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