नई दिल्लीः मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की याचिकाकर्ता ने सीबीआई पर 'असली अपराधियों' के खिलाफ जांच न करने का आरोप लगाया है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में ये भी कहा गया है कि निचली अदालत में दाखिल चार्जशीट में हत्या, सामूहिक बलात्कार जैसी धाराओं को शामिल नहीं किया है. इससे मामला कमज़ोर हो सकता है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 2 हफ्ते बाद सुनवाई को तैयार हो गया है.
याचिकाकर्ता निवेदिता झा की नई अर्ज़ी में कहा गया है कि सीबीआई ने 18 दिसंबर को जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में लगने वाली पॉक्सो एक्ट की धाराएं लगाई गई हैं. लेकिन आईपीसी की संगीन धाराओं को छोड़ दिया गया है. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में हत्या, सामूहिक बलात्कार, जबरन वेश्यावृति जैसे अपराध हुए. पर इनसे जुड़ी धाराएं आरोपियों पर नहीं लगाई गईं.
अर्ज़ी में आगे कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को इसलिए सौंपी थी क्योंकि बिहार पुलिस की जांच सही दिशा में जाती नहीं लग रही थी. लेकिन सीबीआई भी मामले के असली दोषियों को सज़ा दिलाने के लिए गंभीर नहीं लग रही. मुख्य आरोपी अपने दोस्तों और पहचान वालों को शेल्टर होम में लाता था. बच्चियों ने बताया है कि वहां बाहर से बहुत से 'अंकल' आते रहते थे. सीबीआई ने इन 'अंकल' लोगों की पहचान और उनकी जांच की कोशिश नहीं की. ऐसा लगता है कि सीबीआई उन्हें बचाना चाह रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने जांच सीबीआई को सौंपने के बाद मुकदमे को दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया था. निचली अदालत चार्जशीट पर संज्ञान लेकर आगे की कार्रवाई शुरू कर चुकी है. ऐसे में याचिकाकर्ता की मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट जल्द से जल्द मामले को देखे. कोर्ट ने उनके वकील को 2 हफ्ते बाद सुनवाई के भरोसा दिया.
याचिका में ये मांग भी की गई है कि शेल्टर होम में हुए बलात्कार और हत्या के हर मामले के लिए अलग-अलग मुकदमा चले. सीबीआई ने जिस तरह सभी मामलों की एक साझा चार्जशीट दाखिल की है, उससे आरोपियों को राहत मिल सकती है.
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