नई दिल्ली: चुनावी नतीजे जारी करने से पहले क्या चुनाव आयोग ने वीवीपैट और ईवीएम के नतीजों का मिलान नहीं किया था? यह सवाल इसलिए क्यों की चुनावी प्रक्रिया और राजनीति पर नजर रखने वाली संस्था एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह बात कही है.


सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में एडीआर की तरफ से कहा गया है कि नियमों के हिसाब से चुनाव आयोग तभी नतीजों का एलान कर सकता है जब एक बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) और वोटर वैरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT ) के कुछ मशीनों के मिलान का नतीजा सामने आ जाए. लेकिन हाल ही में हुए चुनावों में चुनाव आयोग की तरफ से ऐसा नहीं किया गया और इसी वजह से चुनावी नतीजे मिलान का नतीजा आने से पहले ही जारी कर दिए गए.


सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी सार्वजनिक तौर पर यह जानकारी नहीं होती की किसी एक चुनाव में कुल कितने मत पड़े और किस उम्मीदवार को कितने मत मिले थे.


6 सीटों का नतीजा हो सकता था प्रभावित
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में चुनाव आयोग की प्रणाली पर एक गंभीर सवाल उठाते हुए कहा गया है की कुल 542 लोकसभा सीटों पर हुए चुनाव में 347 सीटें ऐसी थीं जिन पर वीवीपैट और ईवीएम के नतीजों में भिन्नता थी और यह भिन्नता 1 से लेकर 1 लाख वोट तक की थी. इन 347 में से 6 सीट ऐसी भी बताई जा रही है जहां पर यह भिन्नता जीत हार के मार्जिन से भी ज्यादा थी यानी कि इन सीटों पर अगर भिन्नता नहीं होती और भिन्नता वाले मत किसी एक उम्मीदवार के खाते में गए होते तो शायद चुनावी नतीजों पर भी असर पड़ सकता था.


चुनाव आयोग आंकड़े जारी करे
एडीआर की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई है की चुनाव आयोग नतीजों के एलान के बाद उस चुनाव से जुड़े सभी आंकड़े अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करे जिससे कि पारदर्शिता बनी रहे.


चुनाव आयोग का पक्ष
हालांकि 21 सितंबर को चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब एबीपी न्यूज़ ने मुख्य चुनाव आयोग से वीवीपैट और ईवीएम के मिलान को लेकर सवाल पूछा तो उनका कहना था कि किसी भी सीट पर इतनी बड़ी गड़बड़ी नहीं पाई गई जिसका असर नतीजों पर पड़ता.


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चुनाव आयोग के मुताबिक मिलान के दौरान गिनी चुनी मशीनों में तकनीकी गड़बड़ी पाई गई थी. चुनाव आयोग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक 22 हजार से ज्यादा ईवीएम और वीवीपैट मशीनों का मिलान हुआ था जिसमें से 8 में छोटी मोटी गड़बड़ी पाई गई थी और वह अंतर भी बहुत कम था लिहाजा यह कह देना कि वीवीपैट और ईवीएम के नतीजों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पाई गई, मिलान नहीं था ये सही नहीं है.


चुनाव आयोग की तरफ से दी गई सफाई में इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि नतीजों को सार्वजनिक न करने का आरोप पूरी तरह से गलत है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर एक-एक सीट का नतीजा पूरे आंकड़ों के साथ मौजूद होता है. लिहाजा यह कह देना कि चुनाव आयोग जानकारी छुपाता है यह आरोप पूरी तरह गलत है.