नई दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने बुधवार को दिल्ली सरकार और पड़ोसी राज्यों को शहर में गंभीर वायु प्रदूषण की स्थिति से निपटने के तरीकों पर उनकी कार्ययोजना को लेकर आड़े हाथ लिया. अधिकरण ने उन्हें समस्या से निपटने के लिए गुरूवार तक विस्तृत कार्ययोजना बताने को कहा.
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने आज जमा की गयी दिल्ली सरकार की कार्ययोजना पर असंतोष जताया. उन्होंने कहा कि, ‘‘यह चाहती है कि सारी चीजें दूसरे लोग करें.’’ अधिकरण ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण कभी सामान्य स्तर पर नहीं रहा. उन्होंने पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को नये सिरे से कार्ययोजना बताने का निर्देश दिया.
पीठ ने कहा, ‘‘राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर कभी सामान्य नहीं रहा तो आपकी इससे निपटने की क्या योजना है? आप सभी (राज्य) हमें बताएं कि आप प्रदूषण के किस स्तर पर क्या कदम उठाएंगे. प्रदूषण रोकने के लिए आपके सामान्य कदम क्या हैं?’’
एनजीटी ने दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव को निगमों के अधिकारियों समेत सभी संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक बुलाने और कल तक एक व्यापक योजना बताने का निर्देश दिया. दिल्ली सरकार के वकील ने सुनवाई के दौरान समस्याओं से निपटने के लिए एक कार्ययोजना पेश की जिसमें निर्माण गतिविधियों और ट्रकों के शहर में प्रवेश पर रोक, वाहनों को चलाने की ऑड-ईवन योजना के क्रियान्वयन और बच्चों को आबोहवा खराब होने के समय बाहर नहीं खेलने देने समेत दूसरे कदम शामिल हैं.
एनजीटी ने दिल्ली सरकार से पूछा कि क्या वह उसके दिशानिर्देश के मुताबिक ऑड-ईवन योजना को लागू करेगी? इस पर दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि वह उचित दिशानिर्देश प्राप्त कर उसी अनुसार पीठ को सूचित करेंगे.
सुनवाई के दौरान दिल्ली में खराब हवा के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले वर्द्धमान कौशिक की ओर से वकील संजय उपाध्याय ने कहा कि राज्यों की तरफ से जमा की गयी कार्ययोजनाएं महज छलावा हैं. उन्होंने केवल सुप्रीम कोर्ट की तरफ से नियुक्त पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम और नियंत्रण) प्राधिकरण की सिफारिशों को ‘कॉपी-पेस्ट’ किया है.
एनजीटी ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति से निपटने के तरीकों पर व्यापक कार्ययोजना दाखिल नहीं करने पर पहले दिल्ली सरकार से नाराजगी जताई थी.