NGT ने भंग की यमुना नदी की देखरेख के लिए गठित समिति, कमिटी की रिपोर्ट में प्रदूषण के प्रमुख कारण जस के तस
समिति की रिपोर्ट से ये पता चला है कि, प्रदूषण के प्रमुख कारण जैसे की गंदे नालियों का पानी और फैक्टरियों की गंदगी पर रोकथाम के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं. उसने राष्ट्रीय राजधानी श्रेत्र (एनसीआर) के सभी राज्यों को इस मामले में निर्देश जारी कर दिए हैं.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने यमुना नदी की देखरेख के लिए गठित समिति को गुरुवार को भंग कर दिया. समिति की रिपोर्ट से ये पता चला है कि प्रदूषण के प्रमुख कारण जैसे की गंदे नालियों का पानी और फैक्टरियों की गंदगी पर रोकथाम के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं. उसने राष्ट्रीय राजधानी श्रेत्र (एनसीआर) के सभी राज्यों को इस मामले में निर्देश जारी कर दिए हैं. साथ ही इन राज्यों से कहा है कि इस मामले में वो ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के पिछले दो दशक में दिए गए सभी आदेशों पर अमल करें.
दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को दिया निर्देश
यमुना की देखरेख के लिए गठित समिति की सिफारिशों के आधार पर एनजीटी ने दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को आदेश जारी करते हुए कहा कि वे सभी व्यक्तिगत तौर पर इस मामले की निगरानी करें. साथ ही समय समय पर अपनी रिपोर्ट जल शक्ति अभियान के सचिव की अगुवाई वाली केंद्रीय जांच समिति के समक्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं.
प्रदूषण के मुख्य कारणों पर नहीं लग सकी है रोक
एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली बेंच ने कहा, "यमुना नदी की देखरेख के लिए गठित समिति की रिपोर्ट से ये पता चला है कि, प्रदूषण के प्रमुख कारण जैसे की गंदे नालियों का पानी और फैक्टरियों की गंदगी पर रोकथाम के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं. इसलिए सभी सम्बंधित राज्यों से इस मामले में ग्रीन ट्रिब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट के पिछले दो दशक में दिए गए सभी आदेशों और इस समिति की वर्तमान सिफारिशों पर अमल करने के लिए कहा गया है." बेंच ने कहा, "इस मामले में यदि समय की पाबंदी का ध्यान नहीं रखा गया तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कारवाई होगी. यमुना की सफाई की योजना को समय पर पूरा किया जाना बेहद जरूरी है नहीं तो आने वाले कई दशकों तक ये समस्या ऐसे ही बनी रहेगी."
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