NGT Orders West Bengal: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने पश्चिम बंगाल सरकार (West Bengal) को पर्यावरण (Environment) को हुए नुकसान की भरपाई के लिए 3500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. एनजीटी ने कहा, "बंगाल सरकार सीवेज और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुविधाओं की स्थापना को प्राथमिकता देती नजर नहीं आ रही है, जबकि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए राज्य के बजट में शहरी विकास (Urban Development) और नगरपालिका से जुड़े मामलों पर 12,818.99 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान किया गया है.
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने 1 सितंबर, 2022 को पारित एक आदेश में कहा कि पर्यावरण को लगातार हो रहे नुकसान को दूर करने और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करने के लिए एनजीटी अधिनियम की धारा 15 के तहत मुआवजा देना आवश्यक हो गया है. पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को लंबे समय के लिए टाला नहीं जा सकता. साथ ही उसने साफ किया कि प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना राज्य और स्थानीय निकायों की संवैधानिक जिम्मेदारी है.
इस वजह से अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता
एनजीटी ने कहा कि पर्यावरण को नुकसान को ध्यान में रखते हुए हम मानते हैं कि जल्द से जल्द अनुपालन सुनिश्चित करने के अलावा राज्य की तरफ से पिछले उल्लंघनों के लिए मुआवजे का भुगतान किया जाना चाहिए. हरित पैनल ने कहा कि जीवन के अधिकार का हिस्सा होने के नाते, जो एक बुनियादी मानवाधिकार और राज्य का पूर्ण दायित्व भी है, धन की कमी के हवाले से इस तरह के अधिकार से इनकार नहीं किया जा सकता है.
मुआवजे की अंतिम राशि 3,500 करोड़ रुपये आंकी गई
एनजीटी ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में 2,758 मिलियन लीटर सीवेज प्रतिदिन पैदा होता है और 1505.85 एमएलडी (44 एसटीपी (सीवेज शोधन संयंत्र) की स्थापना से) की शोधन क्षमता से महज 1268 एमएलडी सीवेज का शोधन किया जाता है, जिससे 1490 एमएलडी का एक बड़ा अंतर रह जाता है. एनजीटी ने कहा कि दो मदों (ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन) के तहत मुआवजे की अंतिम राशि 3,500 करोड़ रुपये आंकी गई है.
उल्लंघन जारी रहा तो वसूला जा सकता है अतिरिक्त जुर्माना
इस राशि (Amount) को पश्चिम बंगाल (West Bengal) राज्य की तरफ से 2 महीने के भीतर अलग खाते में जमा कराया (Deoposit in Other Account) जा सकता है. जो मुख्य सचिव (chief Secretary) के निर्देश के अनुसार संचालित किया जाएगा (Operated) और जीर्णोद्धार (Renovation) के उपायों के लिए उपयोग किया जाएगा. एनजीटी (NGT) ने अपने बयान में साफ किया है कि अगर उल्लंघन जारी रहता है तो अतिरिक्त मुआवजा वसूलने पर विचार किया जा सकता है. इसकी जिम्मेदारी मुख्य सचिव की होगी.
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