NHAI ने बनाई EV चार्जिंग स्टेशनों को बनाने की योजना, साथ ही बनेंगे राष्ट्रीय राजमार्ग और फूड कोर्ट
एनएचएआई कई ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है. इस योजना से भारत में आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक वाहन के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा और ईवी यूजर्स को मदद मिल सकेगी.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण कई ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है. इस योजना से भारत में आने वाले दिनों में इलेक्ट्रिक वाहन के बुनियादी ढांचे को बढ़ावा मिलेगा. जानकारी के मुताबिक ईवी चार्जिंग स्टेशनों के अलावा बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ-साथ रेस्तरां, फूड कोर्ट, रिटेल आउटलेट जैसे स्थानों की भी बनाने की योजना बनाई जा रही है. इसी के चलते एनएचएआई ने राजमार्गों के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 3,000 हेक्टेयर से ज्यादा के संयुक्त क्षेत्र के साथ 22 राज्यों में 650 से ज्यादा जगहों की पहचान की है. वहीं अगले पांच सालों में एनएचएआई विकास कार्यक्रम की शुरुआत करेगा.
इस योजना के मद्देनजर आगामी दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के साथ 94 साइट की पहचान की गई है. नए राजमार्गों और निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे के साथ 376 साइट और देश भर में राजमार्गों के मौजूदा नेटवर्क के साथ लगभग 180 साइट की पहचान की गई है. वहीं हाईवे नेटवर्क के लिए विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर और संबंधित सेवाएं मुहैया कराने पर सरकार के फोकस से अच्छा रिटर्न मिलने की उम्मीद है.
क्यों जरूरी हैं ईवी चार्जिंग स्टेशन?
राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाने से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों को काफी मदद मिलेगी, जो अक्सर लंबी दूरी की यात्रा के लिए बैटरी से चलने वाली कारों को लेकर परेशान रहते हैं. वर्तमान में ईवी मालिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए राजमार्गों के किनारे बहुत कम ईवी चार्जिंग स्टेशन बनाए गए हैं.
क्या हैं ईवी चार्जिंग स्टेशन के लाभ ?
राष्ट्रीय राजमार्गों पर ईवी चार्जिंग स्टेशन बनने से देश में इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा देने में मदद मिलने की संभावना है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था कि भारत जल्द ही दुनिया में इलेक्ट्रिक वाहनों का सबसे बड़ा विनिर्माण केंद्र होगा. भारत का लक्ष्य दशक के अंत तक सभी वाणिज्यिक कारों का 70 प्रतिशत, निजी कारों का 30 प्रतिशत, बसों का 40 प्रतिशत और दोपहिया वाहनों का 80 प्रतिशत इलेक्ट्रिक होना है.