नई दिल्लीः देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी से लड़ने के नाम पर किए गए लचर इंतजाम और इस कारण कोरोना मरीजों को होने वाली दिक्कतों को लेकर कांग्रेस नेता अजय माकन द्वारा की गई शिकायत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से संज्ञान लिया. आयोग ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को नोटिस जारी कर दस दिनों में जवाब देने को कहा है.


आयोग ने दिल्ली सरकार से कोरोना मरीजों के लिए बेड और टेस्ट की संख्या में इजाफा करने का निर्देश भी दिया है. मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि तथ्यों के आधार पर की गई शिकायत अगर सही है तो यह मानवाधिकार का गंभीर उल्लंघन है. आयोग की एक टीम ने बुधवार को दिल्ली सरकार द्वारा संचालित लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल का दौरा कर हालात का जायजा लिया.


दिल्ली में कोरोना के मरीजों को इलाज के लिए अस्पताल में बेड ना मिलने, टेस्टिंग की कम दर, अंतिम संस्कार में होने वाली देरी आदि मुद्दों को लेकर कांग्रेस नेता अजय माकन ने मंगलवार को मानवाधिकार आयोग को ज्ञापन सौंप कर दखल देने की मांग की थी. इस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए आयोग ने केन्द्र और दिल्ली सरकार से जवाब तलब किया है.


मानवाधिकार आयोग के आदेश की कॉपी ट्वीट करते हुए अजय माकन ने कहा, "एनएचआरसी ने दिल्ली और केंद्र सरकार की बदइंतजामी की पोल खोल दी है".


अपने आदेश में आयोग ने शिकायतकर्ता अजय माकन की तारीफ करते हुए कहा है कि उन्होंने केवल आरोप नहीं लगाए हैं बल्कि गंभीर प्रयास करते हुए आंकड़ों के साथ ज्ञापन सौंपा है. आयोग ने माना है कि अगर माकन द्वारा दिए गए आंकड़े सही है तो इससे आम लोगों के प्रति सरकारी एजेंसियों के बुरे रवैये को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं. ये मानवाधिकार उल्लंघन का गंभीर मामला है.


कांग्रेस नेता अजय माकन ने मानवाधिकार आयोग से दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में उपलब्ध बेड का 70 प्रतिशत कोरोना के लिए आरक्षित करने की मांग की है ताकि जरूरतमंद मरीजों को अस्पताल में इलाज मिल सके. उन्होंने शिकायत की कि एक तरफ अस्पतालों में बिस्तर खाली पड़े हैं वहीं मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा और इलाज के अभाव में मरीजों की मौत हो रही है. माकन ने मांग की है कि आने वाले दिनों में कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर कम से कम 20 फीसदी बिस्तरों में वेंटिलेटर की सुविधा मुहैया की जाए.


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