नई दिल्ली: लॉकडाउन के दौरान आगरा राजमार्ग पर एक प्रवासी महिला द्वारा बेबसी में बच्चे को अटैची पर लटकी हुई अवस्था में सुलाकर खींचने की तस्वीर सामने आई थी. अब इस मामले मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकारों को नोटिस जारी किया है. आयोग ने शुक्रवार को एक वक्तव्य में कहा कि वह अभूतपूर्व स्थिति से भलीभांति परिचित है और लॉकडाउन के दौरान आ रही मुश्किलों को दूर करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं.


उसने आगे कहा, ''लेकिन हैरानी की बात है कि बच्चे और उसके परिवार के दर्द और तकलीफ को स्थानीय अधिकारियों को छोड़कर रास्ते में मिलने वाले कई लोगों ने महसूस किया.'' आयोग ने कहा कि अगर स्थानीय अधिकारी सतर्क होते तो उस परेशान परिवार और ऐसी तकलीफों का सामना कर रहे अन्य लोगों कुछ राहत तत्काल पहुंचाई जा सकती थी. उसने कहा, ''यह घटना मानवाधिकार के उल्लंघन के समान है और इसमें एनएचआरसी के हस्तक्षेप की आवश्यकता है.''


 





एनएचआरसी ने कहा कि उसने पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों और आगरा के जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.


ये था मामला


लॉकडाउन की वजह से मजदूरों का पैदल पलायन नहीं रुक रहा है. इसी दौरान मजदूरों की कठिनाईयों की कई ऐसी तस्वीरें सामने आई हैं, जो व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं. दरअसल, झांसी जिले के महोबा के डेढ़ दर्जन के लगभग लोग पंजाब से पैदल अपने घर जाने के लिए निकले. इनके छोटे-छोटे बच्चों के पैरों में कदम भर चलने की भी ताकत नहीं बची तो मां ने सूटकेस पर बच्चे को लटका दिया और सूटकेस को रस्सी से खींचने लगीं. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरस हो गया.


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