NIA Action: जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुखिया के बेटों की संपत्ति सीज, जानें कौन है सैयद सलाहुद्दीन
Nia In Jammu Kashmiri: एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुखिया के बेटों की संपत्ति कुर्क की है. सलाहुद्दीन अपराध के दुनिया में कदम रखने से पहले साल 1987 में चुनाव लड़ चुका है.
National Investigation Agency: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में हिजबुल मुजाहिदीन के प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के बेटों की दो संपत्ति कुर्क की, जो यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के अध्यक्ष भी हैं. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. बयान में बताया गया कि जम्मू और कश्मीर के बडगाम जिले में सोइबुग तहसील में शाहिद यूसुफ और सैयद अहमद शकील की अचल संपत्तियां यूए (पी) अधिनियम की धारा 33 (1) के तहत कुर्क किया गया है.
शाहिद यूसुफ और सैयद अहमद शकील दोनों गिरफ्तारी के बाद से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं. उसके खिलाफ क्रमश: 20 अप्रैल 2018 और 20 नवंबर 2018 को चार्जशीट भी दायर की गई थी. दोनों को अपने पिता के सहयोगियों और हिजबुल मुजाहिदीन के ओवरग्राउंड वर्कर्स से विदेश से फंड मिलता रहा था. सलाहुद्दीन साल 1993 में पाकिस्तान भाग गया था. अक्टूबर 2020 में भारत ने एक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था.
अधिकारियों ने कहा कि वह पाकिस्तान से काम करता है. जहां से वह हिजबुल कैडरों के साथ-साथ यूजेसी के कार्यकर्ताओं को मार्गदर्शन और निर्देश देता है. जिसे मुत्ताहिदा जिहाद काउंसिल के रूप में भी जाना जाता है. भारत में मुख्य रूप से कश्मीर घाटी में उग्रवादी गतिविधियों को उकसाने और संचालित करने के अलावा सलाहुद्दीन हिजबुल कैडर की आतंकवादी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए धन जुटा रहा है और वित्त पोषण कर रहा है. दिल्ली पुलिस के जनवरी 2011 में एक मामला दर्ज किया था और बाद में इस मामले को एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया.
कौन है सलाहुद्दीन? कैसे अपराध की दुनिया में रखा कदम?
सलाहुद्दीन का पूरा नाम सैयद मोहम्मद युसूफ शाह है. ये कश्मीरी आतंकवादी गुट हिजबुल मुजाहिद्दीन का प्रमुख है. सलाहुद्दीन मध्य कश्मीर के बडगाम जिले का मूल निवासी है. इसको पिछले तीन दशकों से कश्मीर में उग्रवाद को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है. कनाडा फ्री प्रेस के एक लेख के अनुसार साल 1971 में श्रीनगर विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की है.
सूत्रों के अनुसार उसने 1987 में राज्य चुनाव लड़ा था. हालांकि चुनाव जीत न सका. चुनाव हारने के कुछ साल बाद आतंकवादी गतिविधियां में शामिल हो गया. उसे जम्मू-कश्मीर में कई हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है. जिसमें साल 2014 आत्मघाती हमला भी शामिल है, इस हमले के दौरान 17 लोग घायल हो गए थे.
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