नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में एलओसी के जरिए चल रहे नारको टेरर के मामले में एनआईए ने आफाक अहमद वानी नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है. चर्चित हंदवाड़ा ड्रग्स केस में पुलिस को वानी की तलाश थी. उसके घर से बड़ी मात्रा में हेरोइन आदि बरामद की गई थी. आरोप है कि आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को इस ड्रग से बेचे गए पैसों के जरिए मदद भी की जा रही थी.


एनआईए के आला अधिकारी ने बताया कि यह मामला 11 जून 2020 को सामने आया था जब हंदवाड़ा पुलिस नाका पार्टी  ने एक सफेद रंग की हुंडई क्रेटा कार को रोका था. उस कार पर पंजीकरण संख्या प्लेट नहीं लगी हुई थी. यह कार बारामुला से हंदवाड़ा की तरफ आ रही थी. कार को अब्दुल मोमिन नाम का एक शख्स जो कि बेमिना श्रीनगर का रहने वाला था, चला रहा था. इस कार की तलाशी के दौरान सीट के नीचे से एक काले रंग का बैग पाया गया जिसमें 22 लाख रुपए से ज्यादा की नगद धनराशि और मादक पदार्थ हेरोइन रखा हुआ था.


मामले की जांच के दौरान पुलिस ने अब्दुल मोमिन समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया था और इसके बाद यह मामला जांच के लिए 23 जून 2020 को एनआईए को सौंप दिया गया था क्योंकि जांच के दौरान इस तरह के संकेत मिले थे कि यह मामला नारको टेरर के अंतर्गत आता हैं और इस मादक पदार्थ को बेचने के बदले जो पैसे आ रहे थे उससे आतंकवादियों की मदद की जा रही थी. एनआईए के आला अधिकारी के मुताबिक आरोपी बारामुला में सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक में मैनेजर के के पद पर तैनात था और 11 जून 2020 से  फरार चल रहा था. आरोप है कि उसके घर से तलाशी के दौरान तीन किलो से ज्यादा हेरोइन बरामद की गई थी. इसके बाद एक सूचना के आधार पर अधिकारियों ने इसे श्रीनगर इलाके से गिरफ्तार कर लिया.


आला अधिकारी के मुताबिक वानी को जम्मू की स्पेशल कोर्ट के सामने पेश किया गया. जहां से उससे पूछताछ के लिए एनआईए 12 दिन की रिमांड पर लाई है. इस रिमांड अवधि के दौरान यह जानना चाहती है कि यह ड्रग एलओसी किसके जरिए आती है, कहां बेची जाती है और फिर इसका पैसा किस तरह से आतंकवादियों तक पहुंचता है? यानी इस पूछताछ की जरिए एनआईए इस नारको टेरर केस की कड़ी से कड़ी तो जोड़ना चाहती ही है साथ ही असल आरोपियों तक पहुंचना चाहती है जो इस नारको टेरर मामले में आतंकवादियों की मदद कर रहे हैं और देश को खोखला कर रहे है.


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