नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों पर शिकंजा कसते हुए जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट प्रमुख यासीन मलिक को बुधवार को गिरफ्तार कर लिया. इसके अलावा आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के संबंध में मीरवाइज उमर फारुक से दोबारा पूछताछ की. अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी के अधिकारी मलिक को मंगलवार की शाम राष्ट्रीय राजधानी लेकर आये. इससे पहले जम्मू में एनआईए की विशेष अदालत ने मलिक को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जांच एजेंसी की याचिका मंजूर कर ली थी. मलिक को विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां से अलगाववादी नेता को 22 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया गया.


जांच एजेंसी के प्रवक्ता ने बताया कि जन सुरक्षा कानून के तहत पहले से हिरासत में लिये गए मलिक को आतंकवाद के लिए धन मुहैया कराने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. मलिक के संगठन जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट को हाल ही में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया था. उन्हें जम्मू की कोट बलवाल जेल से मंगलवार की शाम तिहाड़ जेल लाया गया था.


मलिक के खिलाफ सीबीआई में भी दो मामले हैं जिनमें 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और 1990 में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या से जुड़ा मामला शामिल है. अदालत के एक सूत्र ने बताया कि मलिक को विशेष जज राकेश स्याल की अदालत में पेश किया गया जहां एनआईए ने उन्हें गिरफ्तार करने की अनुमति मांगी जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया.


मीरवाइज से लगातार तीसरे दिन पूछताछ
एनआईए ने फिर उन्हें अदालत कक्ष में ही गिरफ्तार किया और 15 दिन की हिरासत मांगी. जांच एजेंसी के अधिवक्ता ने रिमांड मांगते वक्त विशेष जज को बताया कि उनके पास यह साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य हैं कि मलिक को पाकिस्तान से पैसा मिला. इसी संबंध में एनआईए ने मीरवाइज से आज लगातार तीसरे दिन पूछताछ की. पूछताछ उनकी पार्टी, हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और संयुक्त प्रतिरोध मोर्चा (जेआरएफ) के वित्तपोषण के इर्द-गिर्द रही. ऐसी खबरें थी कि दोनों अलगाववादियों का एक-दूसरे से आमना-सामना कराया गया लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है.


एनआईए ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अज्ञात सदस्यों समेत अलगाववादी नेताओं के खिलाफ 30 मई 2017 को एक मामला दर्ज किया था जो प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों हिज्बुल मुजाहिदीन, दुख्तरान-ए-मिल्लत, लश्कर-ए-तैयब्बा और अन्य संगठनों और गिरोहों के सक्रिय आतंकवादियों का गुप्त सहयोग कर रहे थे.


जांच एजेंसी ने प्राथमिकी में बताया कि यह मामला जम्मू-कश्मीर में अलगाववादियों और आतंकवादी गतिविधियों के लिए हवाला लेन-देन समेत विभिन्न अवैध माध्यमों के जरिए धन प्राप्त करने या इकठ्ठा करने और सुरक्षाबलों पर पथराव कर, स्कूलों को जला कर, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा कर और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ कर घाटी में अशांति फैलाने के लिए दर्ज किया गया. पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को भी प्राथमिकी में आरोपी बनाया गया है.


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