नई दिल्ली: आतंकवादी संगठनों की मदद से बांग्लादेश के रास्ते जाली भारतीय मुद्रा की स्मगलिंग करने वाले चार तस्करों के खिलाफ एनआईए ने पश्चिम बंगाल की विशेष अदालत के समक्ष चार्जशीट दाखिल की है. इन आरोपियों के पास से 2000 और 500 रुपये के भारतीय नोट बरामद हुए थे जो जांच में नकली पाए गए थे.


एनआईए के एक आला अधिकारी ने बताया कि डीआरआई ने इसी साल के शुरुआती महीने में आलम मुर्तजा नाम के शख्स के पास से 2000 और 500 रुपये के भारतीय नोट बरामद किए. देखने में नोट एकदम असली भारतीय मुद्रा की तरह लग रहे थे लेकिन जब इन नोटों की जांच कराई गई तो ये पूरी तरह से जाली पाए गए. जांच में यह बात उभरकर सामने आई थी कि यह नोट बेहतरीन छपाई के साथ भारतीय मुद्रा वाले कागजों से मिलते-जुलते कागज पर छापे गए हैं, लिहाजा देखने में जाली नहीं लग रहे थे.


एनआईए ने 9 मार्च 2020 को इस मामले में मुकदमा दर्ज किया और मामले की जांच के दौरान तीन अन्य आरोपियों सादिक मियां, मोहम्मद बैतुल्लाह और मोहम्मद मुख्तार आलम को गिरफ्तार कर लिया था. जांच के दौरान एनआईए को पता चला कि आरोपी व्यक्ति एक आतंकी गिरोह का हिस्सा थे. जिस संगठन के जरिए भारत में मौद्रिक अस्थिरता फैलाने की साजिश रची जा रही थी.


उच्च गुणवत्ता वाले कागज


इस संगठन में तस्कर कोरियर और फर्जी मुद्रा के वितरक भी शामिल थे. फर्जी नोट बनाने वाले वितरक उच्च गुणवत्ता वाले कागजों पर नकली भारतीय पेपर करेंसी छापते थे. जांच के दौरान यह भी पता चला कि नकली भारतीय मुद्रा को अलग-अलग कोरियर और तस्करों के माध्यम से भारत-नेपाल सीमा के आसपास भेजा जाता था. साथ ही बांग्लादेश स्थित कई तस्करों के माध्यम से भी यह धनराशि पश्चिम बंगाल के मालदा और आसपास के इलाकों में भेजी जाती थी.


दिलचस्प है कि इस नकली धनराशि के बदले असली धनराशि पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित एक बैंक में जमा कराई जाती थी और बाद में बैंक में जमा कराई गई धनराशि को कोरियर या हवाला के माध्यम से बांग्लादेशी स्थित तस्करों के पास भेज दिया जाता था. एनआईए ने अपनी शुरुआती जांच पूरी करने के बाद आज चारों आरोपियों के खिलाफ पश्चिम बंगाल की विशेष अदालत में अपना आरोप पत्र पेश कर दिया.


जांच जारी


एनआईए के आला अधिकारी के मुताबिक अभी इस मामले में जांच जारी है और यह पता लगाया जा रहा है कि इस साजिश में और कौन-कौन लोग शामिल है और इसके अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन कहां-कहां से जुड़े हुए हैं क्योंकि जिस उच्च गुणवत्ता वाले पेपर पर यह फर्जी भारतीय करेंसी छापी गई, वह आसानी से प्राप्त नहीं हो सकती. लिहाजा इस बात का भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि बांग्लादेश में नोट कहां से आते थे और यह नोट कहां-कहां जा रहे थे.


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