(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Amravati Murder Case: जानबूझकर सर्कुलेट किया गया था उमेश कोल्हे का नंबर, पढ़ें NIA की चार्जशीट से जुड़ी हर बड़ी बात
Amravati Murder Case: एजेंसी के चार्जशीट में कहा कि उमेश कोल्हे की हत्या से देश की एकता को खतरा पैदा हुआ और समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा मिला.
Amravati Murder Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उमेश कोल्हे की हत्या के आरोप में 11 लोगों के खिलाफ शुक्रवार (16 दिसंबर) को चार्जशीट दायर कर दी थी. चार्जशीट में दावा किया गया कि आरोपी तब्लीगी जमात के 'कट्टरपंथी इस्लामवादी' थे. कोल्हे की हत्या 21 जून को हुई थी, जब वो अपना काम खत्म करके लौट रहे थे. उसी समय तीन हमलावरों ने उनकी हत्या कर दी थी. उमेश कोल्हे ने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के समर्थन में व्हाट्सएप पर एक पोस्ट डाला था. नूपुर शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी की थी.
NIA ने चार्जशीट में दावा किया है कि आरोपियों ने उमेश कोल्हे को मारने के लिए साजिश रची थी, जिसके लिए एक आतंकवादी गिरोह का गठन किया गया. उमेश कोल्हे से उनका न कोई संपत्ति का विवाद था और न ही आरोपियों से कोई पुराना झगड़ा था.
बेटे और बहू ने घटना को देखा..
NIA ने कहा है कि उमेश कोल्हे ने नूपुर शर्मा का समर्थन किया था. नूपुर शर्मा ने एक स्वतंत्र देश में स्वतंत्र भाषण के अपने अधिकार का प्रयोग किया. कोल्हे की अमरावती में केमिस्ट की दुकान थी. वो दुकान बंद करके रात में घर लौट रहे थे तो उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई थी. मर्डर करने वाले उनकी बाइक के पीछे दूसरे स्कूटर पर सवार थे. उनके बेटे और बहू ने इस घटना को देखा था.
NIA ने चार्जशीट में कहा कि उमेश कोल्हे की हत्या कोई साधारण हत्या नहीं है, बल्कि धार्मिक रूप से कट्टरपंथी मुस्लिम युवाओं (तब्लीगी जमात) की ओर से रची गई एक सुनियोजित आपराधिक साजिश है, जो अमरावती के लोगों और भारत के अन्य राज्य के लोगों के मन में एक आतंक पैदा करने के लिए थी.
देश की एकता को पैदा हुआ खतरा
एजेंसी ने चार्जशीट में कहा, "इस हत्या से देश की एकता को खतरा पैदा हुआ और समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा मिला. जिस तरह से कोल्हे की हत्या की गई थी, इससे शांतिप्रिय, लोकतांत्रिक देश की सामान्य आबादी की बुनियाद को झकझोर कर रख देगी, जो शायद कभी भी सही या गलत के लिए बोलने की हिम्मत नहीं करेंगे."
11 आरोपियों को तब्लीगी जमात का फ़ॉलोअर बताया गया है. दावा किया गया कि कथित मास्टरमाइंड में से एक, इरफान खान, जमात और उसके नियमों का सख्त अनुयायी था. खान एक एनजीओ राहेबर हेल्पलाइन का अध्यक्ष था, जिसकी शुरुआत कोविड-19 के समय लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंद मरीजों को एंबुलेंस उपलब्ध कराने, लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने और चिकित्सा उपचार में सहायता करने के लिए की गई थी. कहा गया है कि जमात के अनुयायियों और समर्थकों की मदद से खान संगठन का अध्यक्ष बना था.
कोल्हे का मोबाइल नंबर सर्कुलेट किया गया
NIA की चार्जशीट में कहा गया है कि 11 आरोपियों में से एक, डॉक्टर यूसुफ खान पशु चिकित्सक हैं वो 'ब्लैक फ्रीडम' नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा था. जिसके एडमिन कोल्हे थे. एनआईए का कहना है कि कोल्हे ने 14 जून को नूपुर शर्मा के समर्थन में उस ग्रुप में एक पोस्ट डाला था, जिसे देख यूसुफ नाराज हो गया था और उसने एक स्क्रीनशॉट लिया, फिर इसे दूसरे ग्रुप और इंडिविजुअल लोगों को भेज दिया. यही नहीं, कोल्हे का मोबाइल नंबर भी जानबूझकर सर्कुलेट किया गया था, जिसके बाद अन्य आरोपियों ने कोल्हे को मारने के लिए एक आपराधिक साजिश बनाना शुरू कर दिया था.
NIA ने इरफान खान और यूसुफ के अलावा, मुदस्सिर अहमद, शाहरुख हिदायत खान, अब्दुल शेख, मोहम्मद शोएब, आतिब राशिद, अब्दुल अरबाज, मुशिफिक अहमद, शेख शकील, शाहिम अहमद का नाम चार्जशीट में लिखा है. उन पर हत्या, आपराधिक साजिश और यूएपीए की धाराएं लगाई गई हैं. इरफान के नेतृत्व में एक "आतंकवादी गिरोह" बनाया गया था. कुछ लोगों पर कोहले की दुकान की रेकी करने का आरोप है, वहीं कुछ ने लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की.
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